NewDelhi : भीमा कोरेगांव केस में सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. न्यायमूर्ति यूयू ललित, न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने नवलखा की अपील पर सुनवाई की. बता दें कि गौतम नवलखा ने बंबई हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. हाई कोर्ट ने आठ फरवरी को उनकी जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा था, उसे विशेष अदालत के आदेश में दखल देने का कोई कारण नजर नहीं आता. जान लें कि विशेष अदालत ने नवलखा की जमानत याचिका खारिज कर दी थी.
एल्गार परिषद की बैठक में उत्तेजक और भड़काऊ भाषण दिया गया था
पुलिस के अनुसार कुछ कार्यकर्ताओं ने 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में एल्गार परिषद की बैठक में कथित रूप से उत्तेजक और भड़काऊ भाषण दिया था. उसके बाद अगले दिन जिले के कोरेगांव भीमा में हिंसा भड़क गयी थी. पुलिस का आरोप है कि इस कार्यक्रम को कुछ माओवादी संगठनों का समर्थन प्राप्त था. राष्ट्रीय जांच एजेंसी इस मामले की जांच कर रही है. बता दें कि नवलखा ने विशेष एनआईए अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. विशेष एनआईए अदालत ने 12 जुलाई, 2020 को सावधिक जमानत की उनकी अर्जी खारिज कर दी थी.
हाई कोर्ट ने याचिका स्वीकार करने से इनकार कर दिया था
हाई कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान नवलखा ने कहा था कि हाउस अरेस्ट की अवधि को हिरासत अवधि के रूप में गिनी जानी चाहिए. हालांकि, आठ फरवरी को हाई कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उन्हें पहले ही नजरबंद रखने के आदेश को अवैध घोषित किया जा चुका है और इसलिए इस गैर-कानूनी हिरासत को गिरफ्तारी की अवधि में नहीं जोड़ा जा सकता है.