Patna: जातिगत जनगणना के मुद्दे पर बिहार में खूब राजनीति होती रही है. बिहार में सक्रिय राजनीतिक दल इसे लेकर केंद्र सरकार पर दबाव भी बना चुके हैं. लेकिन केंद्र सरकार के हालिया फैसले से बिहार के राजनीतिक दलों को झटका लग सकता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इसके पक्ष में रहे हैं. उन्होंने कहा था कि हर तबके की तरक्की के लिए जातीय आंकड़े को जनगणना में शामिल करना चाहिए. राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने तो इसे मुद्दा ही बना रखा था. लगभग सभी राजनीतिक मंचों पर वे लगातार मांग उठाते आए हैं. अब तेजस्वी यादव भी इस मुद्दे पर मुखर हैं.
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केवल एससी-एसटी वर्ग के लोगों की होगी गिनती
लोकसभा में एक सवाल के जवाब में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने स्पष्ट कह दिया है कि 2021 की जनगणना के साथ केंद्र सरकार सिर्फ एससी-एसटी वर्ग के लोगों की ही गिनती कराने के पक्ष में है. अन्य किसी की नहीं. केंद्र सरकार के इस फैसले को भाजपा-जदयू समेत बिहार के सभी राजनीतिक दलों की भावना के विपरीत माना जा रहा है, क्योंकि बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों ने जाति आधारित जनगणना कराने के पक्ष में सर्वसम्मति से दो-दो बार प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा है. पहली बार 2019 में और दूसरी बार 2000 में. दोनों सदनों में भाजपा के सदस्यों ने भी जातिगत जनगणना कराए जाने के पक्ष में अपना समर्थन दिया था.
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सभी मंचों पर लालू प्रसाद उठाते रहे हैं यह मुद्दा
दोनों सदनों में भाजपा के सदस्यों ने भी जातिगत जनगणना कराए जाने के पक्ष में अपना समर्थन दिया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इसके पक्ष में है. उन्होंने कहा था कि हर तबके की तरक्की के लिए जातीय आंकड़े को जनगणना में शामिल करना चाहिए. राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने तो इसे मुद्दा ही बना रखा था. लगभग सभी राजनीतिक मंचों पर वह लगातार मांग उठाते आए हैं. अब तेजस्वी यादव भी इस मुद्दे पर मुखर है.
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