Jamshedpur : बिहार के कृषि मंत्री सह पूर्व विस उपाध्यक्ष अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि किसानों के नाम पर देश में चल रहे ‘किसान आंदोलन’ में दरअसल किसान हैं ही नहीं. इसमें सिर्फ राजनेता सक्रिय हैं और उनके इरादे भी किसी खास मकसद को लेकर हैं. वे बुधवार को जमशेदपुर पहुंचने के बाद स्थानीय सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे.
विपक्ष बेरोजगार हो गया है इसलिए मोर्चा बनाकर आंदोलन कर रहे
श्री सिंह ने कहा कि आंदोलन करनेवाले राजनेता कह रहे हैं कि यह आंदोलन आगामी 2024 तक चलेगा. उनकी इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि चूंकि 2024 में लोकसभा चुनाव है और वे सत्ता में पुनः नरेन्द्र मोदी को आने देेने से रोकने के लिये तानाबाना बुन रहे हैं. चूंकि प्रधानमंत्री ने सभी विपक्षी दलों को मुद्दाविहीन बना दिया है और विपक्ष बेरोजगार हो गया है, इसलिये वे मोर्चा बनाकर आंदोलन कर रहे हैं. गत दिनों भारत बंद में भी किसान नहीं, बल्कि राजनेता ही सक्रिय दिखे. एक सवाल के जवाब में कहा कि राकेश टिकैत के साथ बड़े-बड़े धन्ना सेठ आंदोलन को हवा दे रहे हैं. दरअसल वही बड़े सेठ छोटे-छोटे किसानों का शोषण करनेवाले लोग हैं. कृषि कानून को लेकर सरकार हमेशा से साथ बैठकर वार्ता करने को तैयार हैं, लेकिन आंदोलनरत राजनेता इस बात पर अड़े हैं कि पहले कानून रद्द हो, फिर वार्ता होगी. इसमें हास्यास्पद पहलू यह है कि जब कानून ही रद्द हो जाएगा तो वार्ता किसलिये होगी. यह आंदोलन पूरी तरह दिग्भ्रमित लोगों का आंदोलन है और लोग असल मुद्दा से भटक रहे हैं. इस दौरान भाजपा के पूर्व महानगर उपाध्यक्ष अजय श्रीवास्तव, अशोक सिंह आदि भी मौजूद थे.
बिहार उप चुनाव में एनडीए की होगी जीत
एपी सिंह ने बिहार विधानसभा के उप चुनाव के सम्बन्ध में कहा कि दोनों सीट पर एनडीए प्रत्याशियों की जीत होगी. पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बारे में कहा कि बिहारवासियों को याद रखना चाहिये कि वे न्यायालय द्वारा सजायाफ्ता हैं. यही नहीं, उन्हें राजनीति के लिये नहीं, स्वास्थ्य कारणों से जमानत मिली है. वैसे लोकतंत्र में कोई भी राजनीतिक मैदान में आ सकते हैं.
पूजा पंडालों में जिला प्रशासन की कार्रवाई खेदजनक
अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने काशीडीह व सिदगोड़ा पूजा पंडालों में जिला प्रशासन की कार्रवाई को खेदजनक बताया. पूजा के दौरान प्रशासन का कदम ठीक नहीं है. जिला प्रशासन को धैर्य के साथ विचार करना चाहिये. पत्रकारों से उन्होंने कहा कि कोरोना गाइडलाइन पालन कराना प्रशासन की जिम्मेवारी है, लेकिन कोई भी नियम या कानून जनभावना को ठेस पहुंचाकर लागू नहीं किया जा सकता है. प्रशासन के इस कदम से स्थिति बिगड़ सकती है. यह आयोजन भावनात्मक मुद्दा पर आधारित है, लेकिन श्रद्धालुओं की भावना व श्रद्धा का ख्याल रखा जाना चाहिये.