Patna : राजधानी पटना से सटा वैशाली जिला का महनार प्रखंड इन दिनों शुगर फ्री आलू की खेती के लिए फेमस हो रहा है. इस शुगर फ्री आलू ने लोगों को काफी फायदा पहुंचाया है, लेकिन इसकी कीमत आम आलू से ज्यादा है. इस खास आलू की खेती करने वाले किसान टुनटुन मिश्र इसकी खेती के लिए दूसरे किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं. मोहम्मदपुर पंचायत के जलालपुर गांव के किसानों को इससे अच्छी आमदनी हो सकती है.
बाजार में इसकी कीमत 80 रुपये किलो के करीब
महनार प्रखंड के मोहम्मदपुर पंचायत के जलालपुर गांव के किसान टुनटुन मिश्र ने शुगर फ्री आलू की खेती का सपना सच कर दिखाया है. बताया जाता है कि शुगर फ्री आलू की कीमत बाजार में 80 रुपये किलो के करीब है. जिससे इसकी खेती कर रहे किसानों को काफी फायदा हो सकता है. किसान टुनटुन मिश्र ने इस साल अपनी 1 एकड़ भूमि में शुगर फ्री आलू की खेती की है. आलू की फसल अच्छी देखकर वो काफी खुश है. उन्हें इस आलू की खेती से काफी उम्मीद है.
जैविक खाद का प्रयोग किया जाता है
उन्हें हाजीपुर के कृषि विज्ञान केंद्र और समस्तीपुर के पूसा से शुगर फ्री आलू की खेती करने की प्रेरणा मिली थी. इस बार हाजीपुर से बीज मंगा कर इसकी खेती की है. शुगर फ्री आलू की खेती की खास बात यह है कि इसमें जैविक खाद का प्रयोग किया जाता है. इसमें रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं किया जाता है. सामान्य आलू की उपज की तुलना में शुगर फ्री आलू की उपज 3 गुना अधिक होती है.
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शुगर फ्री आलू की बिक्री अधिक होगी
वहीं, टुनटुन ने बताया कि इसकी खेती के लिए वो अपने गांव के किसानों को प्रेरित कर रहे हैं. आने वाले समय में अन्य किसानों को भी इसकी बीज उपलब्ध करवायेंगे. इस विषय में जलालपुर गांव के मुखिया पति संतोष कुमार मिश्र उर्फ भोला मिश्र बताते हैं कि टुनटुन की कड़ी मेहनत को देख गांव के अन्य किसान भी शुगर फ्री आलू की खेती के प्रति जागरूक हो रहे हैं. क्योंकि इन दिनों शुगर की बीमारी हर घर में पांव पसार चुकी है. ऐसे में शुगर फ्री आलू की बिक्री अधिक होगी और किसान खुशहाल होंगे.
इस आलू में कार्बोहाइड्रेट कम होता है
शुगर फ्री आलू के बारे में कृषि विज्ञान केंद्र हाजीपुर की वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ. सुनीता कुशवाहा ने कहा कि इस आलू में कार्बोहाइड्रेट कम होता है. इसे पूरी तरह से शुगर फ्री तो नहीं कह सकते हैं. लेकिन कार्बोहाइड्रेट कम होने की वजह से डायबिटीज के मरीज काफी कम मात्रा में इसका सेवन कर सकते हैं. इस की स्टोरेज क्षमता काफी अच्छी होती है.
इसका चिप्स काफी बेहतर बनता है
मई-जून के महीने में आलू ज्यादा सड़ता है. लेकिन इसके साथ यह समस्या नहीं है. इसका चिप्स काफी बेहतर बनता है. शुगर फ्री आलू की खेती में जैविक खाद का प्रयोग होना भी सेहत के लिए काफी बेहतर है. ऐसे में अगर किसानों को इससे बेहतर मुनाफा होता है और आलू सड़ता भी कम है तो निश्चित तौर पर यह आम लोगों के साथ-साथ किसानों के लिए भी फायदेमंद साबित होगा.
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