Patna:बिहार के पूर्वी चंपारण का स्वास्थ्य महकमा एक बार फिर से सवालों के घेरे में है. यहां स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने वाली डॉक्टर अमृता जायसवाल को कागजों में मृत घोषित कर दिया गया. डॉ अमृता ने 2013 में वीआरएस ले लिया था. इतना ही नहीं उनके नाम पर वेतन भुगतान से लेकर बीमा की राशि सहित अन्य पैसे हड़पने की कोशिश की गई. इसके बाद उन्होंने डीएम और सिविल सर्जन को फोन और व्हाट्सएप्प मैसेज भेजकर अपने जिंदा होने का सबूत दिया है. इसके बाद से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है. मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया गया है.
इसे भी पढ़ें- लापरवाही: रिम्स फंड में 2 करोड़ से ज्यादा, फिर भी हीमोफीलिया मरीज कर रहा 3 महीने से दवा का इंतजार
क्या है पूरा मामला
डॉक्टर अमृता जायसवाल छौड़ादानो प्रखंड स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बेला बाजार में पदस्थापित थी. 2013 में उन्होंने वीआरएस ले लिया था. लेकिन सेवांत लाभ नहीं लिया था. सेवांत लाभ की राशि में हेरफेर की सूचना पर डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने जांच टीम का गठन किया है. शुरुआती जांच में पता चला है की डॉ. जायसवाल के सेवांत लाभ की फाइल पर धोखे से सिविल सर्जन के स्टेनो मनोज शाही ने हस्ताक्षर करवा लिए. अब जांच कमेटी डीएम को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. मामले के खुलासे के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप है.