NewDelhi : केंद्र सरकार दिल्ली सरकार के पर कतरने जा रही हो. लोकसभा में सोमवार को एक विधेयक पेश किया गया, जिसमें दिल्ली के उप-राज्यपाल को ज्यादा अधिकार दिये जाने का प्रावधान है. विधेयक में यह स्पष्ट किया गया है कि राज्य कैबिनेट या सरकार के किसी भी फैसले को लागू करने से पहले एलजी की राय आवश्यक होगी.
इस विधेयक से केजरीवाल नाराज हैं. उन्होंने इस बिल को ‘अंसवैधानिक और अलोकतांत्रिक’ करार दिया है, लेकिन केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा का कहना है कि इससे कोऑर्डिनेशन आसान हो जायेगा.
The Bill says-
1. For Delhi, “Govt” will mean LG
Then what will elected govt do?
2. All files will go to LG
This is against 4.7.18 Constitution Bench judgement which said that files will not be sent to LG, elected govt will take all decisions and send copy of decision to LG https://t.co/beY4SDOTYI
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) March 15, 2021
सूत्रों के अनुसार, इन बदलावों का यह मतलब होगा कि राजधानी का दर्जा किसी अन्य केंद्रशासित प्रदेश जैसा हो जायेगा, वहीं केजरीवाल सरकार का मानना है कि यह बिल उसको अपंग बनाने के लिए लाया गया है.
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सभी विषयों के लिए उपराजयपाल की राय लेनी होगी
बता दें कि केंद्र सरकार वर्तमान अधिनियम की धारा 44 में एक नया प्रावधान जोड़ना चाहती है. प्रस्तावित संशोधन कहता है कि दिल्ली में लागू किसी भी कानून के तहत ‘सरकार, राज्य सरकार, उचित सरकार, उप राज्यपाल, प्रशासक या मुख्य आयुक्त या किसी के फैसले’ को लागू करने से पहले संविधान के अनुच्छेद 239AA के क्लॉज 4 के तहत, ऐसे सभी विषयों के लिए उपराजयपाल की राय लेनी होगी.
यह विषय एलजी एक सामान्य या विशेष आदेश के जरिए स्पष्ट कर सकते हैं. अनुच्छेद 239AA में दिल्ली से जुड़े विशेष प्रावधानों का जिक्र है. सूत्रों के अनुसार, इस प्रावधान के बाद प्रस्तावों को एलजी तक भेजने या न भेजने को लेकर दिल्ली सरकार कोई फैसला नहीं कर सकेगी.
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विधानसभा का कामकाज लोकसभा के नियमों के हिसाब से चलेगा
एक और प्रस्ताव में कहा गया है कि एलजी विधानसभा से पारित किसी ऐसे बिल को मंजूरी नहीं देंगे जो विधायिका के शक्ति-क्षेत्र से बाहर हैं. वह इसे राष्ट्रपति के विचार करने के लिए रिजर्व रख सकते हैं.
संशोधन बिल के अनुसार, विधानसभा का कामकाज लोकसभा के नियमों के हिसाब से चलेगा. यानी विधानसभा में जो व्यक्ति मौजूद नहीं है या उसका सदस्य नहीं है, उसकी आलोचना नहीं हो सकेगी. सूत्रों ने कहा कि पहले कई मौकों पर ऐसा हुआ जब विधानसभा में शीर्ष केंद्रीय मंत्रियों के नाम लिये गये थे.
कांग्रेस जंतर मंतर पर धरना देगी
कांग्रेस ने इसे काला बिल करार देते हुए बुधवार को इसके खिलाफ जंतर मंतर पर धरना देने का ऐलान किया है. कहा कि इस बिल से दिल्ली के लोगों की शक्तियां छीन ली जायेगी. पार्टी ने पूर्व विधायक अनिल भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली सरकार के पास पहले से ही जमीन और पुलिस को लेकर कोई ताकत नहीं है, यह बिल उसे और कमजोर करेगा.
विधेयक में दर्ज एक प्रावधान के तहत विधानसभा खुद या उसकी कोई कमेटी ऐसा नियम नहीं बनायेगी जो उसे दैनिक प्रशासन की गतिविधियों पर विचार करने या किसी प्रशासनिक फैसले की जांच करने का अधिकार देता हो. बता दें कि यह उन अधिकारियों की ढाल बनेगा जिन्हें अक्सर विधानसभा या उसकी समितियों द्वारा तलब किये जाने का डर होता है,