Ranchi: छठ पूजा को लेकर झारखंड सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग की तरफ से गाइडलाइन जारी की गयी है. कोरोना को देखते हुए सरकार ने छठ घाटों पर किसी तरह का आयोजन पर रोक लगा दी है. इस बार व्रती और बाकी श्रद्धालु अपने घरों पर ही अर्घ्य देंगे. गाइडलाइन जारी होने के बाद सोशल मीडिया और विपक्षी पार्टी बीजेपी लगातार इसका विरोध कर रही है. वहीं सरकार में शामिल जेएमएम और कांग्रेस की तरफ से ऐसा सुरक्षा कारणों की वजह से किया जाना कहा जा रहा है. मामले पर सरकार और विपक्ष की पार्टी से लगातार(LAGATAR.IN) न्यूज नेटवर्क के संवाददाता ने बात की. जानिए कौन क्या कह रहे हैं.
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सनातनी समाज को आघात लगा है: दीपक प्रकाश
(प्रदेश अध्यक्ष, बीजेपी)
छठ लोकआस्था और प्रकृति का पर्व है. सरका ने तुगलकी फरमान जारी कर एक बड़े समाज को स्नातनी समाज को आघात लगा है. सरकार इस निर्णय पर पुनर्विचार करे.
तुष्टीकरण की सारी सीमायें लांघ गयी सरकार -प्रतुल शाहदेव
बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने सरकार के छठ पर लिये गये फैसले पर कहा कि, जब तक सरकार आस्था के महापर्व छठ पर अपने तुगलकी फरमान वापस नहीं लेती, तब तक पार्टी इसका विरोध करती रहेगी. साथ ही कहा कि हेमंत सरकार ने तुष्टीकरण की सारी सीमाओं को लांघने का काम किया है.
लोग राजनीति करने का प्रयास कर रहे हैं: विनोद पांडे
(महासचिव सह प्रवक्ता जेएमएम)
सरकार की गाइडलाइन का हमें पालन करना चाहिए. छठ घाट पर किसी तरह के आयोजन पर प्रतिबंध लगाए जाने के पीछे सरकार की एक मंशा है. मंशा कोरोना से बचना और बचाना है. घर-परिवार और समाज के लोगों को बचाने का काम हो रहा है. आज झारखंड कोरोना के मामले में देश भर में सबसे पीछे है तो उसमें सभी का सहयोग है. सरकार के गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है. अब इसमें कुछ लोग राजनीति करने का प्रयास कर रहे हैं. ऐसी राजनीति करने वाले लोग समाज को बांटने वाले लोग है. गाइडलाइन महामारी को रोकने के लिए है.
मूल भावना का ख्याल रखा गया है: कुमार गौरव
(अध्यक्ष, युथ कांग्रेस)
छठ की भूल भावना होती है लोग दीर्घायू हो, भगवान भास्कर की कृपा लोगों पर बनी रहे. तो उस मूल भावना का ख्याल रखा गया है. छठ करने पर मनाही नहीं है. लेकिन इस महामारी के दौरान जब कोई संक्रमित तालाब, नदी या कहीं भी पानी में डूबकी लगाएंगे तो संक्रमण घाट के साथ घर तक पहुंच जाएगा. अब घाट में डूबकी लगाने से घर तक कोरोना पहुंचे तो ये कहीं से ठीक नहीं है. हर किसी की जीवन का काफी महत्व है. हां, सरकार को छठ के गीत गानों और साज-सजावट पर लगाए गए प्रतिबंध पर एक बार सोचना चाहिए. बाकी पूरी गाइडलाइन लोगों की सुरक्षा को लेकर है.
हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा: विक्रम सिंह सोनू
(युवा छठ पूजा समिति के संरक्षक, रांची)
सरकार को छठ को लेकर गाइडलाइन सोच समझ कर जारी करनी चाहिए थी. आखिर कैसे घरों में लोग अर्घ्य देंगे. बहुत लोग किराए के कमरे में रहते हैं. एक कमरे के घर में कोई छठ पूजा कैसे कर सकता है. सरकार को सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर सख्ती बरतनी चाहिए थी. लेकिन ऐसा नहीं किया गया. चुनाव के लिए जब सभा लग सकती है तो छठ घाट पर लोग क्यों नहीं जा सकते हैं. सरकार के इस फैसले के बाद हमारे तरफ से हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा. फैसला बिलकुल व्यहवारिक नहीं है. प्रशासन को जितनी लाठी चलानी है चलाए. लोग तो घाट पर जाएंगे ही.
चुनाव और रैलियां हो सकती है तो फिर छठ पूजा क्यों नहीं: ललित ओझा (मंत्री, महावीर मंडल)
सरकार इस गाइडलाइन को वापस ले. इसकी फिर से समीक्षा की जाए. उसके बाद दोबारा से गाइडलाइन जारी की जाए. तालाब और जहां भी छठ घाट बनाकर श्रद्धालु पूजा करते हैं. वहां साफ-सफाई की जाए. लाइटिंग की व्यवस्था की जाए. हिंदू धर्म के इस महापर्व के साथ खिलवाड़ ना की जाए. जब इस कोरोना काल में चुनाव और रैलियां हो सकती है तो फिर छठ पूजा क्यों नहीं. हमारी ये विनती है कि बीमार लोग घाट पर ना जाए. व्रती के घर वाले घाटों पर बिना बात के भीड़ ना लगाएं. सरकार फिर से इस गाइडलाइन के बारे सोचे. क्यों कि धर्म बचेगा तो ही राज्य या राष्ट्र बचेगा. धर्म के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं की जा सकती है.
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