Ranchi : करीब छह महीने के बाद रांची नगर निगम में बुलायी गयी निगम परिषद की बैठक एक बार फिर हंगामे की भेंट चढ़ गयी. इस बार कारण बना, मेयर आशा लकड़ा के अधिकारियों पर दिये बयान में कतिपय अमर्यादित और असंवैधानिक भाषाओं का प्रयोग. उपनगर आयुक्त कुंवर सिंह पाहन, सहायक नगर आयुक्त ज्योति कुमार, शीतल कुमारी ने काला बिल्ला लगा बैठक में शामिल हुए. सोमवार को जैसे ही बैठक शुरू हुई, ज्योति कुमार ने नगर आयुक्त मुकेश को संबोधित कर कहा कि मेयर के दिये बयान से अधिकारियों को खेद है. वे निगम परिषद का बहिष्कार नहीं कर रहे हैं, परंतु मेयर जबतक अपने दिये बयान पर खेद व्यक्त नहीं करती हैं, तबतक वे बैठक में शामिल नहीं होंगे. इसके बाद मेयर ने अपनी बातों को रखा. तालियां दोनों हाथों से नहीं बजती. उन्होंने कई बार समीक्षा बैठक में अधिकारियों को बुलाया, पर किसी भी अधिकारी उनके बुलाये समीक्षा बैठक में नहीं पहुंचे. इसके बाद तो यह तय हो गया कि निगम परिषद की बैठक अब नहीं होगी.
पार्षदों ने की तालाबंदी की मांग, कुछ ने कहा- धरने पर बैठेंगे
अधिकारियों के विरोध के बाद सभी पार्षद भी नाराज होकर हो-हंगामा करने लगे. सभी पार्षदों ने एक स्वर में कहने लगे कि छह माह बाद यह बैठक बुलायी गयी है, लेकिन इसकी चिंता किसी को नहीं है. अगर बैठक नहीं होगा, तो वे निगम कार्यालय में तालाबंदी करने को विवश हो जाएंगे. वहीं कुछ पार्षदों ने धरने पर बैठने की भी बात कहीं.
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डिप्टी मेयर और पार्षदों ने नगर आयुक्त से की अपील, अधिकारियों को बैठक में बुलायें
अधिकारियों के बैठक से जाने और पार्षदों के हंगामे को देख डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय और कुछ पार्षदों से नगर आयुक्त से मांग कहा कि वे पुरानी बातों को भुलाकर वे अधिकारियों को वापस बुलायें. नगर आयुक्त ने उन्हें दोबारा बुलाने का आश्वासन भी दिया. अधिकारी वापस आये भी, लेकिन उन्होंने बैठक में शामिल होने का ठान लिया था.
नगर आयुक्त ने कहा, टिप्पणी पर मेयर खेद व्यक्त करें
नगर आयुक्त भी कमोवेश अधिकारियों के बैठक से जाने की घटना को मौन सहमति देते दिखे. उन्होंने कहा कि निगम परिषद की बैठक आज होने की जानकारी अधिकारियों सहित सभी को थी. वे लंबे समय से काला बिल्ला लगाकर काम करे रहे हैं. वे तो पहले से बैठक में नहीं आ रहे थे. नगर आयुक्त होने के नाते उनके अपील पर ही उन्होंने बैठक में शामिल हुए. हालांकि बाद में नगर आयुक्त ने यह भी कहा कि अमर्यादित टिप्पणी पर मेयर या तो खेद व्यक्त करें या कहें कि उन्होंने किसी तरह से कोई टिप्पणी नहीं की. डिप्टी मेयर ने भी अधिकारियों से मानने की कोशिश की. उन्होंने कि आज शहर की 20 लाख की जनसंख्या देख रही है कि आज बैठक होगी कि नहीं. हालांकि समझाने के बाद भी अधिकारी नहीं मानें.
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विवाद की वजह बनी नजीमा रजा का अधिकारियों को समर्थन मिलना
मेयर ने इसपर कहा कि जो भी बात पिछले दिनों हुई है, उसे खत्म कर बैठक शुरू किया जाए. इस बीच इंजीनियरिंग शाखा के एक अधिकारी ने भी मेयर के किये अमर्यादित भाषा पर कहा खेद व्यक्त कर कहा कि वे सभी निगम में काम करने के लिए सरकार द्वारा नियुक्त किये गये हैं. लेकिन किसी अधिकारी को गाली देने (औरंगजेब का पिल्ला, मोटी चमड़ी वाले, दौड़ाकर पीटा जाएगा) का कोई हक नहीं हैं. इसपर पार्षद रोशनी खलको ने उस अधिकारी का विरोध किया. इस बीच पार्षद नजीमा रजा अधिकारियों के समर्थन में उतर गयी. उन्होंने कहा कि पिछले कई दिनों से अधिकारी लोग काला बिल्ला लगाकर काम कर रहे हैं. लेकिन किसी भी यह हक नहीं है कि वे अधिकारियों को गाली दें. इसके बाद तो सभी पार्षद ही दो गुट में बंट गये.
मेयर ने भरे मंच से कहा, अधिकारियों की मनमानी नहीं चलेगी
अधिकारियों के बैठक से चले जाने और पार्षदों के भारी हंगामे के बीच मेयर ने अपनी कुर्सी से ही नारे लगाने लगीं कि अधिकारियों की मनमानी नहीं चलेंगी. इसके बाद अधिकतर पार्षद (भाजपा समर्थित), मेयर और डिप्टी मेयर निगम के मुख्य द्वारा पर बने सीढ़ी पर जाकर धरने पर बैठ गये. धरने पर काफी लंबे समय तक बैठे रहने के बाद कुछ पार्षद नगर आयुक्त मुकेश कुमार के पास गये और उन्होंने निगम परिषद की बैठक अगले किसी तिथि को आहुत करने की मांग करने लगे. नगर आयुक्त भी इस बात से सहमत दिखे. वहीं सभी पार्षदों ने मेयर को भी बैठक स्थगित करने और अगले किसी तिथि को बुलाने के लिए मना लिया. अंततः निर्णय हुआ कि बैठक 30 सितंबर को सुबह 11 बजे होगी.