LagatarDesk : डॉक्यूमेंट्री फिल्म काली के पोस्टर को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. देशभर में पोस्टर को लेकर विवाद हो रहा है. फिल्ममेकर लीना मणिमेकलई की फिल्म के पोस्टर में मां काली को सिगरेट पीते दिखाया गया. साथ ही उनके एक हाथ में एलजीबीटी समुदाय का सतरंगा झंडा भी नजर आया. इस पोस्टर के रिलीज होने के बाद लीना की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं. हालांकि यह पहली पहली बार नहीं जब लीना मणिमेकलई विवादों में फंसी हैं. इससे पहले भी वो कई डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के कारण विवादों से घिर चुकी हैं. (पढ़ें, हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में बादल फटने से भारी तबाही, छह लोग लापता, मणिकर्ण में टूरिस्ट कैंप तबाह)
घरवाले मामा से करवा रहे थे लीना की शादी
लीना मणिमेकलई की पर्सनल लाइफ की बात करें तो यह काफी संघर्षपूर्ण रही हैं. लीना ने अपनी जिंदगी में समाज, परिवार और आर्थिक रूप से काफी संघर्ष देखा है. तो चलिये बताते हैं लीना की जिंदगी के कुछ संघर्षपूर्ण किस्से. लीना मणिमेकलई मदुरै के दक्षिण में स्थित सुदूर गांव महाराजापुरम की रहने वाली हैं. उनके पिता कॉलेज में लेक्चरर थे. वो एक किसान परिवार से थीं. महाराजापुरम गांव की प्रथा के अनुसार, प्यूबर्टी के कुछ साल बाद लड़कियों की शादी उनके मामा से करवा दी जाती थी. जब लीना को पता चला कि घरवाले उनकी शादी की तैयारी कर रहे हैं तब वो भागकर चेन्नई चली गयी थी.
क्या है प्यूबर्टी
प्यूबर्टी विकास की एक ऐसी अवस्था है जिसमे कोई बच्चा से वयस्क या किशोर बनता है. इस दौरान कई तरह के मानसिक, जैविक और साथ ही साथ शारीरिक परिवर्तन भी आते हैं.
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लीना ने घरवालों को इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए मनाया
चेन्नई जाकर लीना ने तमिल मैगजीन विकटन के ऑफिस में जॉब के लिए अप्लाई किया. लेकिन ऑफिस वालों ने लीना के परिवार वालों को बता दिया. फिर वापस लीना को उसके परिवार वालों को सौंप दिया. किसी तरह लीना ने अपनी फैमिली को इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए मनाया. कॉलेज के आखिरी साल में लीना के पिता की मौत हो गयी.
तमिल डायरेक्टर से पहली नजर में हो गया था प्यार
पिता के गुजरने के बाद लीना अपने पिता की डॉक्टरल थीसीस (तमिल डायरेक्टर P Bharathiraja पर लिखी गयी थी) की किताब पब्लिश करवाने डायरेक्टर P Bharathiraja के पास गयीं. जहां लीना को पहली नजर में ही उनसे प्यार हो गया. डायरेक्टर के साथ लीना के रिलेशन की खबरें भी फैलने लगी. इन खबरों को सुनने के बाद लीना की मां ने खाना-पीना बंद कर दिया और बेटी को वापस घर आने को कहा. मां की खराब हालत देखते हुए लीना ने सिनेमा और P Bharathiraja को त्याग दिया और घर चली गयीं. लीना ने कुछ साल तक बेंगलुरू में आईटी सेक्टर में नौकरी की. लेकिन लीना ने यह जॉब भी छोड़ दिया. फिर उन्होंने फ्रीलांसर बनने का फैसला किया. उन्होंने फ्रीलांसिंग से पैसे कमाये और उन्हें अपनी फिल्मों पर लगाया.
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2002 में लीना ने बनायी थी पहली फिल्म ‘Mathamma’
फिर उनको एहसास हुआ कि वो शोषण का शिकार लोगों और सामाजिक मुद्दों की आवाज बनना चाहती थीं. वो राजनीतिक हस्तक्षेप करना चाहती थीं क्योंकि तभी बदलाव हो सकता था. साल 2002 में लीना ने देवदासी प्रथा को लेकर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई थी. फिल्म का नाम ‘Mathamma’ था. इसमें उन्होंने नाबालिग लड़कियों को 10-20 रुपये में मंदिर में समर्पित किये जाने और पुजारी-पंडितों द्वारा उनके शोषण की कहानियों को पेश किया था. इस फिल्म को लेकर लीना को अरुंधतियार समुदाय और अपने परिवार से रोष झेलना पड़ा.
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डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘Parai’ और ‘Sengadal’ को लेकर भी हुआ था विवाद
लीना ने इसके बाद 2004 में दलित महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘Parai’ बनायी. इसपर भी लीना को काफी आक्रोश झेलना पड़ा. लेकिन लीना कभी हिम्मत नहीं हारीं. 2011 में लीना ने एक बार और विवाद को दावत दी. उन्होंने धनुषकोढ़ी के मछुआरों पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘Sengadal’ बनायी. जिसके बाद सेंसर बोर्ड से लीना को महीनों की लड़ाई चली. आखिरकार फिल्म रिलीज की गयी और इसे कई अंतराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल्स में सराहा गया.
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