Dhanbad धनबाद के एक मशहूर बिल्डर वासे साहब ने 1956 में यहां के जंगलों को काटकर जिस मोहल्ले की नींव रखी थी, वह बाद में वासेपुर के नाम से प्रसिद्ध हुआ. हालांकि कालांतर में यह वासेपुर जमीन के टुकड़े के लिए खून बहाने का सबसे बड़ा केंद्र भी बन गया. खून-खराबे की इसी पृष्ठभूमि में कई गैंग्स पैदा हो गए, जिसे फिल्म वालों ने गैंग्स ऑफ वासेपुर का नाम देकर पैसे और नाम दोनों बटोरे. बावजूद वासेपुर हत्या और विवाद का केंद्र बना रहा. यहां खून का बदला खून एक रिवाज सा बन गया है, जिसे कानून की सख्त से सख्त दीवार भी रोक नहीं रोक पा रही. ताजा मामले के तहत पिछले माह 24 नवंबर 2021 को नन्हे की हत्या कर दी गई. जमीन विवाद में यह तीसरी सबसे बड़ी हत्या है. इससे पहले 12 फरवरी को अमन सोसाइटी निवासी जमीन कारोबारी शहजादा खान की हत्या कर शव को टुकड़ों में बांट कर रेल पटरी पर फेंक दिया गया था. 12 मई को वासेपुर में ही नया बाजार के शरफुल हसन उर्फ लाला खान की हत्या कर दी गई. बुधवार को24 नवंबर को महताब आलम उर्फ नन्हे के मारे जाने के बाद जमीन के लिए हत्या का एक और अध्याय वासेपुर के रंक्त रंजित इतिहास से जुड़ गया. वर्ष 2017 में जमीन करोबारी पप्पू पाचक पर चांद की रात पुराना बाजार में गोलियों की बर्षा हुई. उस समय तो वही बच गए, मगर कुछ माह बाद असर्फी अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया. इसी तरह 2014 में फहीम खान के साले टुन्ना खान की हत्या भी जमीन के लिए ही की गई थी. इसके पहले वासेपुर में कोयला और लोहे के अवैध कारोबार पर कब्जा के लिए खून बहाए जाते थे. परंतु अवैध कारोबार में अकूत पैसा बटोरने के बाद जमीन प्यास बढ़ी, जो फसाद की जड़ बन गई. 2012 में ही सोनू आलम की हत्या के पीछे भी जमीन विवाद की पंचायती की बात कही गई थी. इसके पहले 2012 में ही आरा मोड़ के पास आमीर जान की हत्या का मामला भी जमीन विवाद से ही जुड़ा था. वासेपुर में फहीम खान के परिवार और साबिर आलम की अदावत का लंबा इतिहास रहा है. अब जंग गैंग्स घराने के अंदर छिड़ी है. फहीम और उसके भांजे आपस में ही लड़ रहे हैं. इसका बीजारोपण 2014 में टुन्ना खान की हत्या के साथ ही हो गया था.
वासेपुर की चर्चित हत्याएं :-
1983 में बरवाअड्डा पेट्रोल पंप पर फहीम के पिता शफी खान की गोली मार कर हत्या कर दी गई.
1984 में शफी खान की हत्या के प्रतिशोध में असगर को राजहंस मेंशन में गोलियों से छलनी कर दिया गया.
1986 में असगर की हत्या का बदला फहीम के बड़े भाई शमीम खान की कोर्ट परिसर में हत्या से लिया गया.
1989 में अंजार की हत्या के अदावत में फहीम के छोटे भाई छोटे की हत्या रांगाटांड़ ग्वाला पट्टी में पत्थर से कूच कर हुई.
छोटे की हत्या के प्रतिशोध में 1996 में वार्ड कमिश्नर मो नजीर को हिल कॉलोनी मजार में गोलियां मारी गईं.
1998 में नया बाजार स्थित रेलवे क्वार्टर में सुल्तान को मौत के घाट उतारा गया.
2003 में भूली जाने वाली सड़क पर जफर अली की हत्या कर दी गई.
जफर की हत्या के 15 दिन बाद फहीम की मां नजमा खातून और मौसी शमा परबीन पर डायमंड क्रॉसिंग में गोलियां बरसाई गईं.
2003 में 29 जनवरी को फहीम के घर पर एके-56 से गोलियों की बौछार की गई.
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