Bokaro : हरला थाना क्षेत्र के धनगढ़ी बस्ती के 16 घरों को खाली कराने का मामला और तूल पकड़ता जा रहा है. बता दें कि शनिवार को इस गांव के 16 घरों को खाली कराने के लिए प्रशासन की ओर से ग्रामीणों को नोटिस जारी किया गया है. इस बीच ग्रामीणों ने भी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. ग्रामीणों की माने तो हर स्तर पर उन्होंने अपनी बात रखी लेकिन सुनवाई नहीं हुई. लिहाजा जब अतिक्रमण हटाया जाएगा तब वहां ग्रामीण भी इसका विरोध करेंगे. सूत्रों के मुताबिक ग्रामीणों ने भी प्रशासन के विरोध को लेकर व्यापक तैयारी कर ली है. दूसरी ओर प्रशासन भी अतिक्रमण हटाने की पूरी तैयारी में है. अब आशंका जताई जा रही है कि शनिवार को प्रशासन एवं ग्रामीण आमने-सामने होंगे. और दोनों एक दूसरे का डटकर मुकाबला करने को तैयार हैं. ऐसे में देखना यह होगा कि क्या यह अतिक्रमण हट पाएगा या फिर ग्रामीणों की समस्याओं के निराकरण होंगे.
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ग्रामीणों ने तीनों बार प्रशासन को लौटाया है वापस
बता दें धनगढ़ी के ग्रामीणों ने भारतीय रेलवे के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है. याचिका में रेलवे के डीआरएम, भूमि अधिग्रहण अधिकारी, एसडीओ चास को आरोपी बनाया गया है. धनगढ़ी निवासी कमालुद्दीन अंसारी की ओर से पवन कुमार सिंह व संतोष कुमार ने अदालत में याचिका दायर की है. बता दें की रेलवे विस्तारीकरण योजना के तहत रेलवे का विस्तार करना है, इसके लिए रेलवे ने जमीन को खाली करने के लिए तीन बार प्रयास किया. ग्रामीणों ने तीनों बार प्रशासन को वापस लौटा दिया. ऐसी स्थिति में शनिवार को जब अतिक्रमण हटाने अधिकारी पहुंचेंगे तो उन्हें ग्रामीणों के विरोध का सामना भी करना पड़ सकता है. दूसरी ओर कमालुद्दीन अंसारी ने कहा कि हम ने डीसी को पत्र लिखकर डोजरिंग रोकने की गुजारिश की है. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों के घर को बिना किसी मुआवजा, पुनर्वास तथा सूचना दिए तोड़ने की साजिश की जा रही है. जबकि ग्रामीणों ने कई बार रेलवे प्रशासन, जिला प्रशासन, जिला भू-अर्जन पदाधिकारी को मौखिक एवं लिखित रूप से इसे रोकने की फरियाद लगाई है.
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ग्रामीणों ने भी की व्यापक तैयारी
विगत दिनों राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो से भी उन्होंने गुहार लगाई थी. मंत्री ने वार्ता के लिए तीन लोगों के समक्ष त्रिपक्षीय वार्ता हेतु नामित किया था, लेकिन उसका भी परिणाम नहीं निकल पाया. ऐसे में दोनों तरफ से पहल आज भी वैसा नहीं हो पाया जो कोई नतीजा ठोस निकल सके. ग्रामीणों का कहना है कि हमें विस्थापित करने के पहले पुनर्वासित करना होगा और हमें मुआवजा भी देना होगा. यदि ऐसा करने के पहले हमारे घरों को डोजरिंग किया जाता है तो हम अपनी जान दे देंगे लेकिन किसी भी कीमत पर डोजरिंग नहीं होने देंगे. मालूम हो की एसडीओ चास के आदेश के बाद यह निर्णय लिया गया है कि 24 सितंबर को अतिक्रमण भूमि को खाली करवाया जाएगा. इसके लिए इस अभियान में रेल, सेल व विद्युत विभाग समेत कई विभागों के अधिकारी और कर्मचारी शामिल होंगे. विधि व्यवस्था संधारण के लिए भी भारी मात्रा में पुलिस बलों की तैनाती किए जाने की संभावना है. इस संभावना को देखते हुए ग्रामीणों ने भी व्यापक तैयारी की है.
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