Bokaro : गोमिया थाना क्षेत्र के धमधरवा में भाकपा माओवादी के जोनल कमांडर मिथिलेश के दस्ते के साथ पुलिस की मुठभेड़ हुई है. मुठभेड़ सोमवार की देर रात नक्सली और पुलिस की बीच हुई है. इस दौरान दोनों ओर से 1000 राउंड से ज्यादा गोलियां चलायी गयी. कुछ नक्सलियों को गोली लगने की सूचना भी मिल रही है. इधर पुलिस नक्सलियों की तलाश में सर्च अभियान चला रही है.
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अत्याधुनिक हथियारों से लैस हैं मिथिलेश का दस्ता
बेरमो अनुमंडल के नक्सल प्रभावित चतरोचट्टी और जगेश्वर बिहार थाना के जंगली क्षेत्र में 25 लाख के इनामी नक्सली नेता मिथिलेश सिंह का सशस्त्र दस्ता लगातार सक्रिय है. इस दस्ते में करीब 20 सदस्य शामिल हैं. ये नक्सली अत्याधुनिक हथियारों से लैस है. खबर है कि नक्सलियों का ये दस्ता दोनों ही थाना क्षेत्र के अमन पहाड़ी, अंबानाला, कोइयो टांड़, कारीपानी, रोला, मोरपा, रजडेरवा, सुअर कटवा आदि क्षेत्रों में संगठन विस्तार को लेकर लगातार भ्रमण कर बैठक कर रहा है. साथ ही साथ पुराने साथियों से भी संपर्क में रह रहें हैं.
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साल 2004 में गिरफ्तार हुआ था मिथिलेश
बताया जाता है कि 1992 में मिथिलेश झुमरा में नक्सलवाद की जड़ मजबूत करने वाले सोहन मांझी के साथ मिलकर सक्रिय था. सोहन की निष्क्रियता के बाद यह और अधिक सक्रिय हो गया. लगातार 12 वर्षो तक यह जिले में सक्रिय रहा. माले व एमसीसी से हुए संघर्ष में भी इसकी भूमिका अहम रही. पहली बार यह नक्सली 2004 में गिरफ्तार हुआ. इसकी गिरफ्तारी बोकारो व धनबाद पुलिस के संयुक्त अभियान में हुई थी. उस वक्त धनबाद एसपी संजय आनंद लाठकर थे तो बोकारो के एसपी आर के मल्लिक थे. गिरफ्तारी के बाद इसकी निशानदेही पर झुमरा में एक बंकर से 50 राइफल पुलिस ने बरामद की थी. मिथिलेश ने उस समय पुलिस को जानकारी दी थी कि बोकारो, हजारीबाग समेत आस-पास के इलाकों से उस समय नक्सलियों ने लूटकर ये बंदूकें रखी थी, जब संगठन की नींव रखी जा रही थी.
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लचर पुलिसिया जांच की वजह से वर्ष 2013 में जेल से छूटा
बताया जाता है कि कई गंभीर नक्सली घटना में शामिल मिथिलेश को साल 2004 में गिरफ्तार करने के बाद जेल भेजा गया. महज नौ वर्ष बाद ही यह जेल से निकलने में कामयाब हो गया. जेल से निकलने के बाद फिर से अपने संगठन में शामिल हो गया और घटनाओं को अंजाम देने लगा. बाहर आने के बाद इसने कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया.
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