Ranchi : झारखंड में सर्दी के सितम ने लोगों पर कहर बरपाया है. गुरुवार को रांची का न्यूनतम तापमान 7 डिग्री सेल्सियस और कांके का न्यूनतम तापमान 3.5 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया. कड़कड़ाती ठंड से बचने के लिए लोग अलाव (अंगीठी) का सहारा ले रहे हैं. लेकिन अलाव तापने के दौरान लोगों की लापरवाही जानलेवा साबित हो रही है. शरीर में गर्माहट देने वाले इस अलाव ने पिछले एक सप्ताह में आठ लोगों के शरीर को ठंडा कर दिया. यानी 8 लोग असमय काल के गाल में समा गये. उनकी मौत हो गयी.
17 दिसंबर को लोहरदगा के पूर्व विधायक कमल किशोर भगत की मौत
लोहरदगा के पूर्व विधायक और आजसू पार्टी के केंद्रीय उपाध्यक्ष कमल किशोर भगत की मौत पिछले शुक्रवार को हुई. प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो अत्यधिक ठंड की वजह से कमरे में अलाव जलाया गया था. यह भी मौत का कारण हो सकता है. कमरे में कमल किशोर भगत और उनकी पत्नी नीरू शांति भगत थीं. नीरू को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी. कमल किशोर की मौत को संदिग्ध माना जा रहा है.
21 दिसंबर को एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत
21 दिसंबर को हजारीबाग में एक दर्दनाक हादसा हुआ. यहां अंगीठी और रूम हीटर जलाकर सोना एक परिवार के लिए काल बन गया. परिवार के 3 लोगों की मौत हो गयी. दम घुटने से परिवार के मुखिया 40 वर्षीय शाहिद अनवर उर्फ रिंकू खान, उनकी पत्नी 35 वर्षीय निकहत परवीन और 5 वर्षीय पुत्र अख्तर ने कमरे में ही दम तोड़ दिया.
23 दिसंबर को सुखदेव नगर थाना क्षेत्र के मधुकम में दो लोगों की मौत
रांची के सुखदेव नगर थाना क्षेत्र के मधुकम स्थित शांति नगर में भी अलाव मौत का कारण बना. यहां पिता और पुत्र की दम घुटने से मौत हो गयी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हुई. संदीप चौधरी 50 वर्ष और अंकित चौधरी 19 वर्ष कमरे में अलाव (अंगीठी) ताप रहे थे. वहीं नामकुम थाना क्षेत्र के सामलौंग बेलाबगान रोड के रहने वाले एक ही परिवार के दो लोगों की मौत दम घुटने से हो गयी. शीतल लखानी और मान्या लखानी ने दम तोड़ दिया.
अलाव तापने के दौरान हुआ हादसा
वहीं धनबाद के कतरास की रहने वाली 27 वर्षीया रानी देवी अलाव तापने के दौरान झुलस गयी. जख्म गंभीर होने के कारण उसे धनबाद एसएनएमसीएच से रिम्स रेफर किया गया. फिलहाल रिम्स के बर्न वार्ड में भर्ती है. डॉक्टर के मुताबिक शरीर का 60 प्रतिशत हिस्सा जल गया है. रानी अपने बच्चे को गोद में लेकर अलाव ताप रही थी.
रिम्स का बर्न वार्ड फुल, फर्श पर इलाज कराने को मजबूर मरीज
रिम्स के डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ शैलेश त्रिपाठी ने कहा, सर्जरी A1 और बर्न वार्ड को मिलाकर 30 बेड है. जबकि रिम्स के जनसंपर्क अधिकारी डॉ डीके सिन्हा ने कहा कि अस्पताल का बर्न वार्ड फुल है. यहां बेड के अलावे जमीन पर भी मरीजों का इलाज चल रहा है. उन्होंने कहा कि वार्ड में अलाव तापने के दौरान झुलसे लोगों की संख्या अधिक है.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ डॉक्टर
वहीं रिम्स के सर्जरी विभाग के डॉ मृत्युंजय सरावगी ने कहा कि अलाव उस समय जानलेवा हो जाता है, जब आप इसे बंद कमरे में रखते हैं. इससे जलने का खतरा तो होता ही है, कमरे में धुआं भर जाने के कारण सांस की नली में जाता है, इससे सांस लेने में समस्या होती है. कोयला- लकड़ी के जलने से निकलने वाला कार्बन मोनो ऑक्साइड घातक साबित होता है और यही मौत का सबसे बड़ा कारण है. उन्होंने कहा कि डीप बर्न (चमड़े के अंदर का भाग) कम भी जला है, तो खतरनाक साबित होता है. इस स्थिति में लोगों की मौत हो जाती है. जबकि शरीर का 40-60 प्रतिशत हिस्सा झुलस जाने पर मरीज को बचा पाना मुश्किल होता है.
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