Chulbul
Ranchi : झारखंड में एक बार फिर कोरोना बेकाबू हो गया है. राज्य में दूसरी लहर और भी अधिक घातक साबित हो रही है. हर दिन संक्रमितों के आंकड़ों से साथ ही मृत्यु दर भी बढ़ती जा रही है. इसके रोकने के लिए सरकार ने रांची जिले सहित पूरे राज्य में 30 अप्रैल तक सभी तरह के जुलूस और भीड़-भाड़ पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही सरकार ने अन्य कई तरह के निर्देश जारी किए हैं. इसी के तहत राज्यभर में जिम, स्विमिंग, पुल और पार्कों को फिर से बंद कर दिया है.
शहर में वैसे भी स्विमिंग पुल की संख्या काफी कम है. पार्कों को अधिक नुकसान नहीं है, पर इससे सबसे ज्यादा नुकसान है जिम संचालकों को. उनका कहना है कि सरकार को इससे कोई मुनाफा नहीं है. इसलिए वे इस सेक्टर के बारे में सोचते तक नहीं है. सिनेमा हॉल, होटल, रेस्टोंरेंट, बाजार आदि सभी रात 8 बजे तक 50% की कैपेसिटी के साथ खोलने का निर्देश दिया है. पूर्ण रूप से बंद है, तो केवल जिम. जहां लोग जाकर अपनी इम्युनिटी स्ट्रांग करते हैं. एक भी केस अभी तक जिम से रिपोर्ट नहीं की गई. आठ महीने के लंबे लॉकडाउन के बाद बड़ी मुश्किल से जिम वाले संभल रहे था और फिर इसे बंद कर दिया गया.
जिम से एक भी पॉजिटिव केस नहीं
सहजानंद चौक पर स्थित तलवॉकर्स के मालिक अनमोल शर्मा का कहना है कि लॉकडाउन के बाद जब से जिम खुला है एक भी पॉजेटिव केस जिम से नहीं मिला है. जब सिनेमा हॉल, रेस्टोरेंट 50% की कैपेसिटी के लाथ खुल सकते है तो जिम क्यों नहीं. जैसे-तैसे पहले लॉकडाउन को सर्वाइव कर ही रहे थे कि फिर से लॉकडाउन लगा दिया गया. भले ही अभी यह 30 अप्रैल तक हो पर ऐसे भी नहीं है कि एक मई से इसे खोलने का आदेश मिल ही जाए. सरकार के अनुसार सबसे अधिक भीड़ जिम में ही लगती है. बाजारों, मॉल्स, रेस्टोरेंट में नहीं.
जिम में हर महीने 50,000 रुपये से अधिक का खर्च
बरियातू स्थित टूएल्व आवर जिम के मालिक पुनीत सिंह का कहना है कि जिस तरह सभी को रात 8 बजे तक दुकान खोलने के लिए निर्देश दिया गया है. हमें भी 50% कैपेसिटी के साथ इसे खोलने देना चाहिए था. रांची में छोटे-बड़े मिलाकर 250 से अधिक जिम हैं. जिम रेंट, बिजली बिल, मेंटेंसिंस, ट्रेनर, स्टाफ आदि सब मिलाकर कम से कम 50,000 रुपये का खर्च आता है. 8 महीने के लॉकडाउन में जैसे-तैसे हमने काम चला लिया, पर इस बार यह काफी परेशानी की बात साबित हो सकती है.
जिम से कम से कम 4 परिवार की चलती है रोजी-रोटी
राज्य में झारखंड बॉडी बिल्डर्स एसोसिएशन के जेनरल सेक्रेटरी जेपी मोहंती ने सरकार के इस फैसले पर विरोध जताते हुए कहा कि जिम चाहे छोटा हो या बड़ा, उससे कम से कम 4 लोगों को परिवार चलता है, पर बार-बार सरकार कि जिन पर लॉकडाउन लगाने से वे उन्हें बेरोजगार बना रहे. साथ ही उनकी रोजी-रोटी का संसाधन छीन रहे हैं. जिम ज्यादातर बेरोजगार युवाओं द्वारा रोजगार का जरिया है.
ऐसे निर्णयों ने सरकार रोजगारों को बेरोजगार बनाने पर तुले हैं. जिम से तो कोरोना से लड़ने में मदद मिल सकती है. जिम में तो लोगों का इम्युनिटी सिस्टम मजबूत होता है. सरकार के इस फैसले के विरोध में एसोसिएशन शनिवार शाम स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और स्वास्थ्य सचिव केके सोन को जिम ओनर्स की परेशानी को लेकर ज्ञापन सौंपेंगी और अनुरोध करेगी की सरकार रोजगार युवाओं को बेरोजगार न करें.