Ranchi: रांची में शनिवार को हृदय विज्ञान पर एक संगोष्ठी हुआ. इसका आयोजन आर्टेमिस हार्ट सेंटर और राज अस्पताल द्वारा संयुक्त रूप से किया गया. संगोष्ठी में रांची और आसपास के क्षेत्रों के विभिन्न विशिष्टताओं के सौ से अधिक डॉक्टरों ने भाग लिया. संगोष्ठी में मुख्य वक्ता आर्टेमिस कार्डियक केयर के कार्डियक साइंसेज के निदेशक डॉ मनजिंदर सिंह संधू थे. डॉक्टर संधू एंजियोप्लास्टी और कार्डियक सर्जरी में से बंद हृदय वाहिकाओं के इलाज पर चर्चा की.
डॉ मनजिंदर सिंह संधू ने कहा कि अवरुद्ध धमनियों से संबंधित अधिकांश समस्याओं के लिए एंजियोप्लास्टी नया मानदंड बन रहा है. हृदय की धमनियों में कई रुकावटों में कार्डियक सर्जरी आज भी एक स्वर्ण मानक है. आर्टेमिस राज हार्ट सेंटर में कार्डियोलॉजी के प्रमुख डॉ राजेश कुमार झा ने भी अपने विचार दिये. डॉ. झा ने अनियमित दिल की धड़कन को लेकर आईसीडी के महत्व के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि एक इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (ICD) एक छोटा बैटरी से चलने वाला उपकरण है. इसे अनियमित दिल की धड़कन (अतालता) का पता लगाने और रोकने के लिए छाती में लगाया जाता है. एक ICD लगातार दिल की धड़कन की निगरानी करता है. एक नियमित हृदय ताल को बहाल करने के लिए जरूरत पड़ने पर बिजली के झटके देता है.
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आर्टेमिस राज हार्ट सेंटर के गैर-इनवेसिव कार्डियोलॉजिस्ट डॉ अविनेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि कम ईएफ वाले मरीजों में दिल की विफलता के इलाज के लिए विभिन्न उपचार प्रोटोकॉल अब उपलब्ध हैं. कॉन्क्लेव बहुत संवादात्मक रहा और स्थानीय चिकित्सक समुदाय ने उपलब्ध विशेषज्ञ पैनल के साथ विभिन्न शंकाओं और भ्रांतियों को दूर किया. उन्होंने आज अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा सामना किए जा रहे सबसे बड़े चिकित्सा मुद्दों में से एक पर इस तरह की सूचनात्मक संगोष्ठी आयोजित करने के लिए आर्टेमिस हार्ट सेंटर और राज अस्पताल की सराहना की.
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