Ranchi : कैथोलिक कलीसिया ने शुक्रवार को यीशु ख्रीस्त के पवित्रतम हृदय का पर्व मनाया. बाइबल में करीब 1000 से भी ज्यादा बार हृदय शब्द का प्रयोग हुआ है. कैथोलिक धर्म की शिक्षा में हृदय को किसी मनुष्य का छिपा हुआ केंद्र कहा गया है. इसे केवल ईश्वर ही इसे पूरी तरह से समझ पाने की बात कही गई है. कैथलिक कलीसिया को यह पर्व याद दिलाता है कि हम सब को बनाने वाले ईश्वर ने अपना दिल हमारे लिये खोल दिया है. और इसलिए विश्वासी बड़े आस्था और प्रेम के साथ पर्व को मनाते हैं. रांची आर्चडायसिस ने संत मारिया गिरजाघर में पर्व के विशेष अवसर पर मिस्सा-आराधना की. आराधना के मुख्य अनुष्ठाता आर्च बिशप फेलिक्स टोप्पो थे.
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पृथ्वी के कोने-कोने में हृदय को प्रेम का प्रतीक – आर्च बिशप
आर्च बिशप फेलिक्स टोप्पो ने पर्व के महत्व को बताते हुए कहा कि पृथ्वी के कोने-कोने में हृदय को प्रेम का प्रतीक माना गया है. हृदय शब्द प्रेम का पर्यायवाची बन गया है. मनुष्य के सभी अंगों की अपनी-अपनी भूमिका है. पर हृदय उसके जीवित रहने का महत्त्वपूर्ण और केन्द्रीय अंग है. और इसीलिए रोमी सैनिक ने क्रूस पर टंगे यीशु के हृदय को भाले से छेद किया. यह जानने के लिए कि यीशु जीवित है या नहीं. हृदय मनुष्य के अस्तित्व और उसके सारे सोच-विचारों, भावनाओं, आदि को समेटकर अपने में संजोए रखता है. ईश्वर ने अपने छलकते प्रेम को साझा करने के लिए मनुष्य की सृष्टि की.
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इस पर्व को मनाने के पहले हमें कुछ चीजों का रखना है ध्यान
प्रभु के पवित्र हृदय का पर्व मनाने के लिए हमें कुछ चीजों का ध्यान रखना चाहिए. आर्च बिशप ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि इस पर्व को मनाने के लिए हमें चाहिए कि हम ईश्वरीय प्रेम से प्रज्वलित हों, हम उसके प्रति अपनी आत्म समर्पित करें, अपनी बुराईयों का हम प्रायश्चित करें, ईश्वर के प्रति अपनी भक्ति का विस्तार करें, ईश्वर के हृदय की तरह ही अपने हृदय को बनाएं, दया-भाव रखे और दीन-हानों के लिए अटूट आशा बनें.