NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्त के तौर पर अरुण गोयल की नियुक्ति के लिए अपनायी गयी प्रक्रिया पर गुरुवार को सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी फाइल को जल्दबाजी में मंजूरी दी गयी. कहा कि गोयल की नियुक्ति से जुड़ी फाइल बहुत तेजी से पारित कर दी गयी. इस मामले में केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी ने SC से थोड़ा रुकने के लिए कहते हुए मामले पर विस्तारपूर्वक गौर करने का अनुरोध किया. इस क्रम में न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा, यह किस तरह का मूल्यांकन है?
Supreme Court reads the files related to the appointment of former IAS officer Arun Goel as the new Election Commissioner last week and questions the Centre about the fast-tracked clearance of files. pic.twitter.com/OUrbTzzT4S
— ANI (@ANI) November 24, 2022
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हम अरुण गोयल की योग्यता पर नहीं, प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं
कहै कि हम अरुण गोयल की योग्यता पर नहीं बल्कि प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं. शीर्ष विधि अधिकारी ने पीठ से कहा, ‘‘कृपया थोड़ा रुकिये. मैं आपसे विस्तारपूर्वक मामले पर गौर करने की अपील करता हूं. खबर है कि केंद्र सरकार ने SC द्वारा बुधवार को दिये गये निर्देश के अनुसार पीठ के समक्ष चुनाव आयुक्त के तौर पर गोयल की नियुक्ति की मूल फाइल पेश की, जिस पर न्यायालय ने विचार किया.
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गोयल के नाम को 24 घंटे के भीतर राष्ट्रपति से मंजूरी मिल गयी
पीठ ने कहा कि 1985 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी गोयल ने एक ही दिन में सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली, एक ही दिन में कानून मंत्रालय ने उनकी फाइल पारित कर दी. कहा कि चार नामों की सूची प्रधानमंत्री के समक्ष पेश की गयी तथा गोयल के नाम को 24 घंटे के भीतर राष्ट्रपति से मंजूरी मिल गयी. जान लें कि संविधान पीठ चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी व्यवस्था बनाने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.
एक ही दिन क्लीयरेंस, नोटिफिकेशन और एक्सेप्टेंस
जस्टिस रस्तोगी ने कहा कि 15 मई को पद खाली हुआ. क्या आप हमें बता सकते हैं कि सरकार ने इस पर नियुक्ति के लिए जल्दबाजी क्यों की? उसी दिन क्लीयरेंस, उसी दिन नोटिफिकेशन, उसी दिन एक्सेप्टेंस. फाइल 24 घंटे भी नहीं घूमी. उन्होंने एजी से कहा कि आप पैनल के होने को सही ठहरा सकते हैं लेकिन कानून और न्याय मंत्री के नोट के संदर्भ में हम इस चयन का आधार जानना चाहते हैं. हम जानना चाहते हैं कि क्या व्यवस्था कायम है और प्रक्रिया ठीक काम कर रही है.
इस क्रम में अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि विधि और न्याय मंत्रालय ही संभावित उम्मीदवारों की सूची बनाता है, फिर उनमें से सबसे उपयुक्त का चुनाव होता है. इसमें प्रधानमंत्री की भी भूमिका होती है. जान लें कि संविधान पीठ चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी व्यवस्था बनाने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.