Ranchi : कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिखे पत्र पर उठाये गए सवाल पर अब झारखंड मुक्ति मोर्चा बीजेपी नेताओं (विशेषकर बाबूलाल मरांडी) पर हमलावर है. पार्टी ने कहा है कि हेमंत सरकार ने अपने पत्र में कहीं नहीं लिखा है कि वे अपने नागरिकों को निःशुल्क टीका नहीं लगाएगी. झारखंडियों को टीका तो निःशुल्क ही मिलेगा, चाहे केंद्र सरकार साथ दे या ना दे. अब जिस तरह सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की नीति पर सवाल उठाया है, उसके बाद तो बीजेपी नेताओं को शर्म करनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, देश में 18-45 साल के लोगों के लिए सरकार की वैक्सीनेशन नीति बेतुकी
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र की कोविड वैक्सीनेशन पर सवाल खड़ा किया है. कोविड-19 के समस्त टीकों की खरीद का ब्योरा देते हुए केंद्र को पूरे आंकड़े पेश करने का निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है. कोर्ट ने यह भी कहा है कि देश में 18-45 साल के लोगों के लिए सरकारी की वैक्सीनेशन नीति बेतुकी है. सुप्रीम कोर्ट के तीन सदस्यीय बेंच ने यह भी कहा कि “45 साल से अधिक आयु के लोगों के स्वास्थ्य को ज्यादा खतरा मानते हुए केंद्र ने वैक्सीन दी. क्या 18 से 44 की उम्र में ऐसे लोग नहीं हैं, जिन्हें कोरोना से अधिक खतरा हो?” कोर्ट के इस बयान के बाद से ही जेएमएम बीजेपी नेताओं हमलवार हो गयी है. पार्टी ने लिखा है कि जो बात हेमंत सरकार पिछले कई महीनों से कहते आ रही हैं, उसे बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी है.
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बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी को लिखे हेमंत सोरेन के पत्र को आधार बनाकर बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा था कि हेमंत सरकार पहले तो निःशुल्क वैक्सीन देने का काम किया. अब पत्र लिख केन्द्र से कह रहे हैं कि जो करे केन्द्र करे. आखिर माजरा क्या है?
सीएम ने भी केंद्र की नीति पर सवाल उठाकर जताई थी चिंता
गत 31 मई को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था. पत्र में हेमंत ने केंद्र के उस निर्णय पर चिंता व्यक्त की थी. उसमें कहा था कि राज्य सरकार को 18 वर्ष से 44 वर्ष तक के आयु वर्ग के लोगों के लिए उत्पादकों से खुद वैक्सीन अरेंज करना होगा. सीएम ने पत्र में यह भी लिखा था कि देश में पोलियो समेत कई तरह के टीकाकरण अभियान चलते रहते हैं. इसके लिए केंद्र की तरफ से मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध कराया जाता है. लेकिन आजादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि 18 से 44 वर्ष तक के लोगों के लिए राज्यों को उत्पादकों के जरिए कोरोना वायरस का टीका खरीदने को कहा जा रहा है. यह व्यवस्था संघीय ढांचे के खिलाफ नजर आती है.