Praveen Kumar
Hazaribagh : सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम एनटीपीसी लिमिटेड द्वारा हजारीबाग में खनन और पर्यावरण कानूनों का घोर उल्लंघन करने के मामले को केंद्र सरकार ने गंभीरता से लिया है. केंद्रीय वन सलाहकार समिति ने वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के कथित उल्लंघन पर खनन कार्यों की तुलना में क्षेत्र के हाइड्रोलॉजिकल प्रभाव को देखने के लिए क्षेत्र का दौरा करने के लिए एफएसी की एक उप समिति गठित करने की सिफारिश की है. इसकी सूचना झारखंड सरकार के वन विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर दी गई है. उप समिति सामान्य रूप से त्रिवेणी-सैनिक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विशेष रूप से दुमुहानी नाला और क्षेत्र की जलवायु पारिस्थिति की बदलाव,आंकलन और प्रभाव का अध्ययन करेगी.
झारखंड स्टेट फॉरेस्ट एडवाइजरी कमेटी की रिपोर्ट त्रिवेणी-सैनिक के गले की फांस बनेगी
शुभम संदेश ने एनटीपीसी के पंकरी-बरवाडीह कोल परियोजना अंतर्गत त्रिवेणी-सैनिक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड द्वारा केंद्रीय फॉरेस्ट क्लियरेंस की शर्तों का उल्लंघन कर लाइफलाइन दुमुहानी नाला को नष्ट कर सौ एकड़ एरिया में अवैध माइनिंग किए जाने का खुलासा किया था. एनटीपीसी, त्रिवेणी-सैनिक और वन विभाग के अधिकारी डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं. इस मुहीम में धरना-आंदोलन के नाम सुर्खियां बटोरने वाले एक नेता का भी साथ मिल रहा है. सरकार में पकड़ की धौंस दिखाकर त्रिवेणी-सैनिक और वन विभाग के अधिकारियों को कुछ नहीं होने देने के लिए आश्वस्त किया गया है.
झारखंड स्टेट फॉरेस्ट एडवाइजरी कमेटी की रिपोर्ट में क्या है
झारखंड स्टेट फॉरेस्ट एडवाइजरी कमेटी की रिपोर्ट पहले ही केंद्र सरकार को भेजी गई है. अब इस रिपोर्ट का काट नहीं मिलने के कारण परेशानी बढ़ी हुई है. क्योंकि एनटीपीसी को स्टेज एक और दो स्टेज क्लियरेंस के पहले झारखंड स्टेट एडवायजरी कमेटी द्वारा परियोजना अंतर्गत वन, पर्यवारण और जलस्रोत और कृषि पर पड़ने वाले प्रभाव का आंकलन करना है. रिपोर्ट में दुमुहानी, पकवा और खोर्रा नाला को पर्यावरण, जलीय-वन्य जीव जंतुओं, जानवरों और कृषि प्रधान क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण (जीवनरेखा) होने का उल्लेख करते हुए इन्हें संरक्षित करने का सुझाव दिया था. रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एनटीपीसी को दिए फॉरेस्ट क्लियरेंस में दुमुहानी, पकवा और खोर्रा नाला को संरक्षित करते हुए उसके किनारे ग्रीन बेल्ट निर्माण करने की शर्त रखी थी. अब उसी महत्वपूर्ण जल स्रोतों को कैसे अनुपयोगी, बिना महत्व के और मौसमी साबित करने में अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं. उन्हें डर है कि वर्तमान रिपोर्ट का मिलान पुराने रिपोर्ट से न हो जाए.
शुभम संदेश की टीम ने परियोजना क्षेत्र में जाकर दुमुहानी, खोर्रा नाला, पकवा और बुलबुलिया नाला के उद्गम तक पहुंची, नालों में नवंबर माह में भी पानी बह रहा है. लेकिन इन नालों को खनन कर पूरी तरह नष्ट से कर दिया गया है.
गजब : अवैध माइनिंग हुई, लेकिन किसी को दोषी नहीं मानते डीएफओ
हजारीबाग पश्चिमी वन प्रमंडल के डीएफओ आरएन मिश्रा ने अवैध माइनिंग के संंबंध में जो रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजा है, उसमें स्वीकार किया है कि शर्तों का उल्लंघन हुआ है, लेकिन अवैध माइनिंग का जिम्मेवार किसी को नहीं मानते. कहते हैं विरोधाभासी आदेशों के कारण ऐसा हुआ है, लेकिन यह नहीं बताए कि किस विभाग के किस अधिकारी के आदेश में त्रिवेणी-सैनिक को बिना सेंट्रल फॉरेस्ट क्लियरेंस के दुमुहानी नाला को नष्ट कर माइनिंग करने का आदेश प्राप्त है. जबकि सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट कर चुका है कि बिना फॉरेस्ट क्लियरेंस के हुए माइनिंग अवैध है. डीएफओ ने यह अभी तक यह तय नहीं किया है कि त्रिवेणी-सैनिक द्वारा सौ एकड़ में माइनिंग हो गई और वन विभाग के किसी कर्मी को पता नहीं चला और इस लापरवाही या मिलीभगत से हुई अवैध माइनिंग का कौन जिम्मेवार है.
सौ एकड़ में अवैध माइनिंग के कोयले का हिसाब देना बाकी है
शिकायत कर्ता मंटू सोनी ने कहा है कि एनटीपीसी, त्रिवेणी-सैनिक वन विभाग के अधिकारियों और नेताओं की मिलीभगत से सौ एकड़ में अवैध खनन कर कोयला बेच दिया गया है. उसका हिसाब बाकी है. उन्हें बताना होगा कि सौ एकड़ में निकला कोयला कहां गया और किसको लाभ हुआ. इस बात की जांच और कार्रवाई के लिए ईडी, कोयला मंत्रालय और खान मंत्रालय को पत्र लिखा गया है. त्रिवेणी-सैनिक अवैध माइनिंग मामले में वन विभाग को एनपीभी के तहत हर्जाना देकर अवैध माइनिंग के जाल से निकलने की तैयारी में है.