Chaibasa (Sukesh Kumar) : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के पास दो वर्ष का समय था. लेकिन खतियान के आधार पर स्थानीयता को परिभाषित नहीं कर सके. अब हेमंत सरकार में खतियान के आधार पर स्थानीयता तय करने का निर्णय मंत्रिमंडल में ले लिया गया तो वे अब इसका विरोध कर रहे है. यह हास्यास्पद स्थिति है. यह प्रतिक्रिया झारखंड बचाओ मोर्चा के सदस्य नारायण सिंह पूर्ती उर्फ शीतल पूर्ती ने दी है. उन्होंने कहा है कि मधु कोड़ा खतियान के आधार पर सचमुच स्थानीयता तय करने के प्रति गंभीर रहते तो रघुवर दास सरकार के समय बिना खतियान के आधार पर स्थानीयता व नियोजन नीति का निर्धारण का विरोध करते. लेकिन उस समय विरोध का स्वर उनके ओर से नहीं उठा. मतलब वास्तव में बिना खतियान के स्थानीयता नीति के ही पक्षधर है.
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प्रवासियों को मधु कोड़ा ने खूब लाभ पहुंचाया : पूर्ती
नारायण सिंह पूर्ती ने मधु कोड़ा से यह पूछा है कि उनके मुख्यमंत्री रहते हुए अपने गृह जिले कुजू डैम से विस्थापित होने वाले ग्रामीणों के लिए उन्होंने क्या किया. वन क्षेत्र में निवास करने वाले कितने ग्रामीणों को वन पट्टा देने का काम किया. टाटा स्टील, एसीसी कंपनी, रूंगटा कंपनी, उषा मार्टिन, बालाजी जैसे कई कंपनी में कितने स्थानीय युवाओं को रोजगार का अवसर प्रदान किया.
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इसी तरह से माइंस लीज, ठेकेदारी सहित विभिन्न संस्थान में रोजगार प्रदान करने वाली कौन सा एतिहासिक काम का सृजन किया. बल्कि रोजगार और व्यवसाय करने के लिए आए प्रवासियों को मधु कोड़ा ने खूब लाभ पहुंचाया. जो अब दूसरे देशों में भी अपना पूंजीनिवेश कर बड़े पूंजीपतियों में अपना नाम शुमार कर रहे है. उन्होंने ग्रामीणों को ऐसे नेताओं से सावधान रहने की आवश्यकता बताई है और कहा है कि उनके बहकावे से लोग बचे.
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