Chaibasa (Sukesh Kumar) : हॉकी ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा देश के सभी क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने के बाद भी सिर्फ आदिवासी होने के कारण भारत रत्न से नहीं नवाजा गया. यह बातें अतिथि के रूप में झारखंड पुनरुत्थान अभियान के संयोजक सन्नी सिकु ने टाटा कॉलेज बिरसा मेमोरियल हॉल में मरांग गोमके की पुण्य तिथि के अवसर पर टाटा कॉलेज बिरसा मेमोरियल हॉल में सोमवार को कॉलेज के आदिवासी व जनरल हॉस्टल के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित परिचर्चा में कहीं. उन्होंने कहा कि मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा ने देश का नाम रोशन करने के लिए आईसीएस जैसे प्रतिष्ठित नौकरी का प्रशिक्षण छोड़ दिया था. शिक्षा के क्षेत्र में भी उनका बहुमूल्य योगदान रहा था. संविधान सभा में डॉ राजेंद्र प्रसाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे दिग्गजों के सामने मजबूती से आदिवासियों का पक्ष रखा. लेखक के रूप में भी उन्होंने उत्कृष्ट कार्य किए. साथ ही आदिवासियों के लिए पांचवी और छठी अनुसूची के प्रावधान के लिए उनका योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है.
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छात्रों ने भी परिचर्चा में रखे अपने-अपने विचार
जनरल हॉस्टल के प्रीफेक्ट विवेक पूर्ति ने कहा कि सचमुच मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा ऐसे ही मरांग गोमके नहीं कहलाए. उनका योगदान हम आदिवासियों के लिए अविस्मरणीय है. टाटा कॉलेज के छात्र मनोज टुडू ने कहा कि छात्र-छात्राओं को मोटिवेट करना आवश्यक है. ताकि स्टूडेंट्स सही रणनीति के तहत मेहनत कर अपने चरित्र का निर्माण कर सके. टाटा कॉलेज के छात्र लालमोहन मुर्मू ने कहा मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा द्वारा संविधान सभा में दिया गया अभिभाषण अपने आप में अनूठा रहा था. जिसमें उन्होंने कहा हा कि हम आदिवासियों को आप लोकतंत्र नहीं सीखा सकते. आदिवासी से अधिक लोकतंत्र इस पृथ्वी पर दूसरा जीव नहीं है. आपको आदिवासियों से ही लोकतंत्र सीखना होगा. परिचर्चा में शिक्षाविद जगदीश चंद्र सिकु, अमृत मांझी, सुमंत ज्योति सिकु और अन्य टाटा कॉलेज हॉस्टल के छात्रों ने परिचर्चा में अपने विचार रखे. इस अवसर पर टाटा कॉलेज हॉस्टल के सैकड़ों छात्र उपस्थित थे.