Chaibasa (Sukesh Kumar) : जगद्गुरु शंकराचार्य के निधन पर पूरा देश दुखी है. पश्चिमी सिंहभूम इस दुख से अछूता नहीं है. पश्चिमी सिंहभूम से भी कई इतिहास जगतगुरु शंकराचार्य का जुड़ा हुआ है. जिससे यहां के लोग कभी भुला नहीं सकते हैं. पश्चिमी सिंहभूम आनंदपुर प्रखंड से सात किमी दूर गोइलकेरा, आनंदपुर, मनोहरपुर प्रखंड की सीमा पर गोइलकेरा प्रखंड के परलीपोस में वर्ष 1968 गोपाष्टमी के दिन कोयल-कारो संगम तट पर आश्रम की स्थापना जगतगुरु शंकराचार्य ने की थी. जिसे यहां के स्थानीय लोग कभी भुला नहीं सकता है पश्चिमी सिंहभूम के लिए गौरव की बात है. परमहंसी गंगा झोतेश्वर के बाद यह उनका दूसरा आश्रम था. आश्रम स्थापना के बाद यहां निरंतर आयुर्वेदिक और एलोपैथी चिकित्सा सेवा चलता रहा. स्वामी जी पूर्व में शिवरात्रि व बाद में होली के मौके पर विश्व कल्याण आश्रम आते थे. इस दौरान 10 दिवसीय निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन, रासलीला, भंडारा, मानस नवाह परायण, यज्ञ, सत्संग समेत कई धार्मिक अनुष्ठान वृहत रूप से संपन्न होते थे.
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शंकराचार्य के निधन पर रूंगटा परिवार ने जताया शोक
जगतगुरु शंकराचार्य चाईबासा की पवित्र भूमि में भी कई बार पहुंच चुके हैं. हर वर्ष दीपावली पर वह यहां रूंगटा परिवार के यहां पधारते थे. उनके स्वागत में रूंगटा परिवार की ओर से कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे. उनके निधन पर रूंगटा परिवार शोकाकुल है. मुकुंद रूंगटा ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है. वहीं नंदलाल रूंगटा भी उनके निधन पर आश्चर्यचकित हैं. उन्होंने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि हमें जो सेवा करने का मौका मिला है, उसे पूरा किया. यह एक हमारे लिए अवसर था. चाईबासा में भी उनके भक्त हैं जो उनके दर्शन के लिए प्रत्येक साल होली के अवसर पर समीज आश्रम तक जाते थे.
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आश्रम में शंकराचार्य चिकित्सा का नरसिम्हा राव ने किया था उद्घाटन
वर्ष 1995 में वनवासियों के कल्याण हेतु व आश्रम में शंकराचार्य चिकित्सालय का उद्घाटन किया गया. तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने शंकराचार्य की उपस्थिति में अस्पताल का उद्घाटन किया था. 100 बेड वाले इस अस्पताल में इंडोर, आउटडोर, 2 ऑपरेशन थियेटर, 2 एम्बुलेंस समेत कई सुविधा मौजूद है. शिविर अवधि में यहां मोतियाबिंद रोगियों का ऑपरेशन किया जाता है. अस्पताल में प्रतिदिन एक कंपाउंडर, नर्स आदि रहते हैं जो कि रोगियों को निशुल्क दवा देते हैं. यहां प्रति माह 1 व 2 तारीख को होमियोपैथी के डॉक्टर द्वारा दवा दी जाती है. शिविर अवधि में कई नामी, गिरामी आयुर्वेदिक, एलोपैथिक और होमियोपैथी के डॉक्टर शंकराचार्य चिकित्सालय में रहते हैं.
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शंकराचार्य के निधन से बहुत क्षति पहुंची : श्याम तिवारी
शंकराचार्य के एक भक्त श्याम तिवारी ने कहा कि उनके निधन से हमें बहुत क्षति पहुंची है. वह एक महान व्यक्ति में से थे. एक जीता जागता संसार में भगवान का रूप थे. उनके इस निधन से हमारे परिवार से लेकर पूरे भक्तों को काफी दुखी पहुंचा है. उनके इतिहास को हम भविष्य मान कर जीना चाहते हैं. उनके प्रेरणा से ही हमें कई चीज हासिल होगी. समाज के लिए उन्होंने बहुत कुछ किया है. जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है. उन्होंने कहा कि उनके मार्ग पर चलकर एक अलग पहचान युवा वर्ग के लोग बना सकते हैं. सनातन धर्म को बढ़ावा देने का काम हमेशा शंकराचार्य ने किया है जो एक उपलब्धि का काम है. समाज को एकता की ओर ले जाने के काम शंकराचार्य ने ही किया है, जिसे इतिहास कभी नहीं भुला सकता है.