Kiriburu: वनपाल प्रशिक्षण विद्यालय, चाईबासा में सांपों को बचाने व पकड़ कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ने के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया. इस प्रशिक्षण में 12 वन प्रमंडलों के 35 उप परिसर पदाधिकारी व अन्य लोगों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया. सारंडा वन प्रमंडल पदाधिकारी चंद्रमौली प्रसाद सिन्हा ने बताया कि प्रशिक्षण के लिए रेस्क्यू किए गए सांपों को लाया गया है. प्रशिक्षण के उपरांत उन्हें जंगल में सुरक्षित छोड़ दिया जाएगा.
वन और वन्य जीवों के प्रति संवेदनशील बनें: डीएफओ
उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वन और वन्य जीवों के प्रति संवेदनशील बनें. सांपों को देखने के बाद डरे नहीं, उन्हें जाने का रास्ता दें. सांपों को मारे नहीं, सांप को नुकसान पहुंचाना भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत वन अपराध की श्रेणी में आता है, इसमें सजा का भी प्रावधान है. जब तक पता न हो कि सांप को किस तरीके से पकड़ा जाए तब तक उन्हें न पकड़ें. आज प्रशिक्षण में उप परिसर पदाधिकारियों को झारखंड में पाए जाने वाले सांपो के बारे में बताया गया.
सांपों के लिये रेस्क्यू सेंटर बनाया जाए: एनके सिंह
सर्प विशेषज्ञ एनके सिंह ने बताया कि सरकार को रेस्क्यू सेंटर बनाना होगा, जहां रेस्क्यू किए गए सांपों को उनके स्वस्थ होने तक रखा जाए. स्वस्थ होने के उपरांत उन्हें जंगल में छोड़ दिया जाए. श्री सिंह ने सांपों को नुकसान पहुंचाए बगैर पकड़ कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ने के लिए बहुत सारी तकनीक बताई. उन्होंने कहा कि सांपों को किसी भी चिमटा जैसी वस्तु से नहीं पकड़ना चाहिए क्योंकि उससे सांप के शरीर में चोट लग सकती है. अगर चिमटा से सांप को पकड़ा जाए तो सांप काफी डर जाता है और डरने के बाद खाना पीना छोड़ देता है. उसके उपरांत वह कुछ दिनों के बाद मर जाता है. ज्यादातर लोग सांप पकड़ने के बाद उसे छोड़ देते हैं, उसके बाद की स्थिति का पता किसी को नहीं चल पाता है.
सांपों की संख्या बढ़ाने का प्रयास करें
उन्होंने बताया कि सांप डरपोक प्रजाति का जानवर है. सांपों की संख्या बढ़ाने का प्रयास करें. सांपों की संख्या ज्यादा होने से पर्यावरण संतुलित रहता है. सांप उसी चीज को अपना शिकार बनाते हैं जिसको वह खाते हैं, परंतु इंसान विवेकहीन होने के कारण किसी भी वन प्राणी को नुकसान पहुंचा देता हैं. उन्होंने लोगों से अपील की कि आप सब सांपों का सम्मान करें सांप भी आपका सम्मान करेगा. उन्होंने बताया कि कुछ लोगों में यह धारणा रहती है कि सांप दूध पीते हैं परंतु सांप का जीभ काफी पतला होता है वह दूध नहीं पी पाता है. इसलिए सांप को कभी दूध नहीं पिलाना चाहिए.
पश्चिमी सिंहभूम क्षेत्र में चित्ति सांप की संख्या अधिक
उन्होंने बताया कि पश्चिमी सिंहभूम क्षेत्र में चित्ति सांप की संख्या बहुत है. वे हेमोटॉक्सिन होते हैं. उसके काटने से दो छोटा बिंदु के समान काला निशान पड़ जाते हैं. वहीं कोबरा जो न्यूरोटोक्सीन होते हैं, उसके काटने पर नीला निशान पड़ जाते हैं. अगर सांप के काटने पर चीरा हुआ निशान दिखाई देता है तो सांप ने उसे खाने वाले दांत से काटा है जिससे सांप का विष मनुष्य में प्रवेश नहीं किया है और व्यक्ति सुरक्षित है.
एक लाख से अधिक सांपों को बचा चुके हैं एनके सिंह
उल्लेखनीय है कि श्री सिंह 1971 से सांप पकड़ रहे हैं. उनकी पत्नी की मृत्यु सांप काटने से हुई थी. उसके उपरांत उन्होंने प्रण लिया की सांपों को बचाना है. सांपों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होना चाहिए जब तक सांप के शरीर पर पैर ना पड़े, सांप कभी इंसान को नुकसान नहीं पहुंचाता है. तब से लेकर अब तक एक लाख से भी ज्यादा सांप को बचाकर सुरक्षित स्थानों पर छोड़ चुके हैं. खरसावां के कुचाई में उन्होंने सांप पार्क की भी स्थापना की है. श्री सिंह 85 वर्ष की उम्र में भी काफी सक्रिय हैं. प्रशिक्षण में सारंडा वन प्रमंडल पदाधिकारी चंद्रमौली प्रसाद सिन्हा के अलावा संलग्न पदाधिकारी प्रजेश कांत जेना, ससंगदा वन क्षेत्र पदाधिकारी राजेश्वर प्रसाद व अन्य लोग मौजूद थे.
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