Chandil (Dilip Kumar) : चांडिल गोलचक्कर स्थित सिदो-कान्हू की मूर्ति पर मंगलवार को हूल क्रांति के महानायक व जनक वीर अमर शहीद सिदो-कान्हू की जन्मजंयती मनाई गई. मौके पर झारखंड दिशोम बाहा (सरहुल) जाहेरगाढ़ समिति व विभिन्न समाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने सिदो-कान्हू की मूर्ती पर माल्यार्पण कर उन्हें अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित किया. जयंती पर माल्यार्पण करने वालों में जाहेरगाढ समिति के कोषाध्यक्ष बैधनाथ टुडू, मोती सोरेन, बाबू राम सोरेन, बीरु टुडू, राजू किस्कू, कले हेम्ब्रम, रविंद्र नाथ सिंह, सुफल किस्कू, बाबलू सोरेन, सोनाराम बेसरा समेत अन्य लोग शामिल थे.
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करो या मरो अंग्रेजों हमारी माटी छोड़ो का दिया था नारा
माल्यार्पण के बादर जाहेरगाढ समिति के प्रवक्ता सुदामा हेम्ब्रम ने कहा कि संथाल हुल 1855 में सिदो-कान्हू के नेतृत्व में हुआ था. इसके बाद बड़ी संख्या में लोगों ने सिदो-कान्हू के नेतृत्व में ब्रिटिश सत्ता, साहूकारों, व्यापारियों व जमींदारों के खिलाफ सशस्त्र युद्ध की शुरूआत की. इसे संथाल विद्रोह या हूल आंदोलन के नाम से जाना जाता है. संथाल विद्रोह का नारा करो या मरो अंग्रेजों हमारी माटी छोड़ो था. उन्होंने कहा कि हमें उन्हें अपना आदर्श बनाना होगा. उनके दिखाए मार्ग पर चलकर ही हम अपने समाज और माटी की रक्षा कर सकते हैं.
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