Chandil (Dilip Kumar) : संयुक्त ग्राम सभा मंच ने दलमा इको सेंसेटिव जोन के मुख्य द्वार पर बांधकर रखे गए रजनी (हथनी) और उनके साथ एक बच्चा हाथी के दिन पर दिन गिरते स्वास्थ्य को लेकर आवाज उठाई है. मंच ने कहा कि आखिर हाथियों के गिरते स्वास्थ्य का जिम्मेदार कौन है. क्या कोई उनके हिस्से का भोजन खा रहा है. इसके इस हालात के लिए कौन जिम्मेवार हैं. मंच से सरकार से रजनी को जंजीरों से जल्द-जल्द आजाद करने की मांग करते हुए कहा कि उनके स्वास्थ्य का देखभाल करने वाले जिम्मेदार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए.

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क्या रजनी को दी जा रही शारीरिक यातनाएं
मंच के अनूप महतो ने कहा कि मंगलवार की सुबह संयुक्त ग्राम सभा मंच के साथी सुकलाल पहाड़िया के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल दलमा इको सेंसेटिव जोन के मुख्य द्वार पर पहुंचा, तो देखा कि रजनी शारीरिक रूप से बहुत कमजोर हो गई है. मुख्य द्वार पर रजनी हाथिनी पर्यटकों का सेल्फी का केंद्र बना हुआ है, लेकिन रजनी और उनके साथी का शारीरिक स्थिति दिनों दिन कमजोर होना विभाग की उदासीनता को दर्शा रही है. उन्होंने कहा कि पर्यटकों के मनोरंजन के लिए क्या रजनी को शारीरिक यातनाएं दी जा रही है. उन्होंने कहा कि रजनी को विभाग जंजीरों से आजाद करें. अन्यथा रजनी के सवालों को लेकर वृहद पैमाने पर जन आंदोलन की तैयारी की जाएगी.
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जानवरों के अधिकारों के साथ खिलवाड़ कर रही व्यवस्था
अनूप महतो ने कहा कि इको सेंसेटिव जोन बनने से पहले दलमा में मनुष्य व जानवर दोनों साथ-साथ रहा करते थे. लेकिन कभी भी जानवरों की स्थिति इस तरह नहीं थी. ना कभी जंगल में रहने वाले इंसान वन विभाग से गुहार लगाया है कि आप जंगल में रहने वाले हाथियों को लोहे की जंजीर में बांध के कैद करके रखें. उन्होंने जानना चाहा कि क्या रजनी के इस हालात को देखते हुए ये नहीं लगता है कि जानवरों के हक अधिकारों के साथ ये व्यवस्था खिलवाड़ कर रही है. जल-जंगल-जमीन की लूट से सिर्फ आदिवासी-मूलवासी ही नहीं जंगल में रहने वाले जानवर भी दमन का शिकार हो रहे हैं.


