Chandil (Dilip Kumar) : चांडिल अनुमंडल के हारुडीह, धातकीडीह सार्वजनिक सरस्वती पूजा कमेटी द्वारा आयोजित पांच दिवसीय ऐतिहासिक सरस्वती मेला का बुधवार को समापन होगा. मेला के अंतिम दिन दोपहर दो बजे से झाड़ग्रम, पश्चिम बंगाल के झुमूर सम्राट सुरजीत व दीपिका और सहगियों द्वारा झुमूर संगीत प्रस्तुत किया जाएगा. वहीं रात 10.30 बजे से उस्ताद वीणाधर कुमार बनाम उस्ताद विकास महतो के दल द्वारा छऊ नृत्य प्रस्तुत किया जाएगा. ऐतिहासिक मेला में शामिल होने पहुंच रहे लोग रंग-बिरंगे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद उठा रहे हैं. इसके साथ ही आवश्यक घरेलु सामग्रियों की खरीदारी कर रहे हैं. विदिल हो कि हारुडीह, धातकीडीह स्थित प्रमंडल के एकमात्र सरस्वती मंदिर परिसर में प्रतिवर्ष पांच दिवसी सरस्वती मेला का आयोजन किया जाता है. मेला में झारखंड के अलावा पश्चिम बंगाल व ओडिशा से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं.
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मेला में झुमूर संगीत का उठाया आनंद
सरस्वती मेला के चौथे दिन दोपहर से देर रात तक सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए. चौथे दिन मंगलवार को बंगला झुमूर संगीत के रंग में मेला रंगीन हो गया था. दूर-दराज से आए दर्शकों ने मेला में झुमूर संगीत का आनंद उठाया. झुमूर संगीत के ताल पर लोग देर शाम तक थिरकते रहे. मेला में झाड़ग्रम, पश्चिम बंगाल के झुमूर सम्राट सुरजीत व दीपिका ने एक से बढ़कर एक झुमूर संगीत पेश कर लोगों को झुमने पर मजबुर किया. मेला कमिटी के सचिव लक्ष्मीकांत महतो ने कहा कि झुमूर संगीत का प्राचीन समय से समाज में विशेष महत्व है. उन्होंने कहा कि पहले झुमूर गीत मौखिक रूप से रचे जाते थे, स्टैंड डांस गाने के रूप में इस्तेमाल किए जाते थे और इनमें किसी भी भनिता का उल्लेख नहीं होता था. लेकिन कालांतर में अकड़ के साथ झूमर की शुरुआत हुई. उन्होंने कहा कि वर्तमान में विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर झूमर गीतों की रचना की जाने लगी है.
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