LagatarDesk : उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ लोक आस्था का महापर्व आज (31 अक्टूबर) को संपन्न हुआ. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को सूर्योदय 6 बजकर 27 मिनट पर हुआ. व्रतियों ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर धन, धान्य और आरोग्य की कामना की. अर्घ्य देने के बाद व्रतियों ने पारण कर 36 घंटे का निर्जला उपवास तोड़ा. (पढ़ें, छठ महापर्व संपन्न, सीएम हेमंत सोरेन ने सपरिवार हटनिया तालाब जाकर भगवान भास्कर को दिया अर्घ्य)
छठ घाटों पर उमड़ा आस्था का जनसैलाब
रांची समेत राज्य के हर जिले में छठ पर्व को लेकर उत्साह देखने को मिला. छठ घाटों पर लाखों की संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ी. रांची के कांके डैम, धुर्वा डैम, डोरंडा मत्स्य तालाब, बड़ा तालाब, अरगोड़ा तालाब, चुटिया समेत अन्य घाटों पर व्रतियों ने भगवान सूर्य की उपासना की. छठ घाटों, नदियों, तालाबों पर छठ छठी मइया की गीतों से पूरा माहौल भक्तिमय रहा. पहले अर्घ्य में भी छठ घाटों में आस्था का जनसैलाब उमड़ा था. व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर सुख-समृद्धि की कामना की.
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उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के पीछे मान्यता
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्य की प्राप्ति, सौभाग्य और संतान के लिए रखा जाता है. स्कंद पुराण के अनुसार, राजा प्रियव्रत ने भी यह व्रत रखा था. उन्हें कुष्ट रोग हो गया था. इस रोग से मुक्ति के लिए भगवान भास्कर ने भी छठ व्रत किया था. स्कंद पुराण में प्रतिहार षष्ठी के तौर पर इस व्रत की चर्चा है. वर्षकृत्यम में भी छठ की महत्ता की चर्चा है.
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