- पहले बैच में 156 स्टूडेंट्स कोचिंग लेंगे
Ranchi : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को राज्य के 8 आदिम जनजाति स्टूडेंट्स को प्रतियोगिता परीक्षा के लिए नि:शुल्क आवासीय कोचिंग कार्यक्रम का उदघाटन डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान में किया. आदिवासी कल्याण विभाग द्वारा झारखंड के 8 आदिम जनजाति असुर, बिरहोर, पहाड़िया, मॉल पहाड़िया, कोरवा, परहेइया, सौरिया ओर सबर के सटुडेंट्स को झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के द्वारा विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कराई जाएगी. ये स्टूडेंट्स यहीं रहकर प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करेंगे.
इसका शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि पूरे देश में 750 जानजतियां हैं, जिनमें से 75 आदिम जनजातियां हैं. इसमें केवल झारखंड में 32 जनजातीय हैं, जिनमें से 8 अतिसंवेदनशील आदिम जानजातियां हैं. जो अब लुप्त प्राय: होने को हैं. अगर यही हाल रहा, तो एक दिन न केवल झारखंड बल्कि देश से अन्य जनजातीय समुदाय भी लुप्त ही हो जाएंगे. सरकार की जिम्मेवारी केवल राशन दे देने भर की नहीं होती है. राशन देने भर से गरीब या आदिवासी का विकास नहीं हो सकता है. इनके विकास के लिए कुछ अलग करना पड़ता है.
इसे पढ़ें- रांचीः संबलपुर मंडल में 4 ट्रेनें रद्द
यह बहुत बड़े दुर्भाग्य की बात है कि झारखंड बनने के बाद भी लुप्त हो रही आदिम जनजातियों को बचाने और उनके विकास के लिए अपेक्षित काम नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि मैं भी कोई ऊपर से सीधे नीचे नहीं आया हूं. मैं भी आपके बीच से आया हूं. कठिन परिस्थितियों के बावजूद आज आपके बीच खड़ा हूं. ऐसा नहीं है कि देश के अन्य राज्य में आदिवासी सीएम नहीं हैं. पूर्वोत्तर राज्य में आदिवासी सीएम हैं. मगर हिंदी पट़टी में मैं इकलौता आदिवासी सीएम हूं. इसलिए मेरा यह नैतिक दायित्व बनता है कि आदिवासियों के लिए कुछ करूं. आदिवासी समुदाय के लोगों की नियती ही है, कठिन परिश्रम, त्याग और संघर्ष. यह मैं भी कर रहा हूं. तमाम विपरीत हालात के बीच भी मैं आपके बीच खड़ा हूं. अभी बहुत कुछ हुआ और आगे भी बहुत कुछ हम करेंगे. आप अपनी चिंता मुझ पर छोड़ दें. आप बस अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें. बहुत जल्द और कई योजनाएं धरातल पर नजर आएंगी.
झारखंड की दशा एवं दिशा बदलने की योजनाएं शुरू हो रही हैं
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज सरकार के द्वारा आदिवासी, दलित और अल्पसंख्यकों के बच्चों को विदेशों में उच्च शिक्षा के लिए भेजा जा रहा है. शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए स्कूल ऑफ एक्सीलेंस खोले गए हैं. सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना के द्वारा बच्चियों को पढ़ाई के प्रति प्रेरित किया जा रहा है. फूलो -झानो आशीर्वाद योजना के तहत हड़िया-दारू बेचने वाली महिलाओं को सम्मानजनक आजीविका से जोड़ा जा रहा है. हमारी सरकार ने ऐसी कई योजनाएं शुरू की हैं, जो झारखंड की दशा और दिशा को बदलने का काम कर रहे हैं. यह सिलसिला तब तक जारी रहेगा, जब तक कि हमारा राज्य और हमारी जनता समृद्ध और खुशहाल नहीं बन जाते हैं.
इसे पढ़ें- मुरी : बैल को बचाने में कुआं धंसा, आधा दर्जन लोग दबे, रेस्क्यू जारी
ये थे मौजूद
इस मौके पर आदिवासी, पिछड़ा और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि आदिवासियों की पहचान मिटाने के लिए हर स्तर से प्रयास हो रहा है. कोई वनवासी कहता है, कोई जनजातीय कहता है, कोई क्या-क्या कहता है. पता नहीं है, लोग चाहते हैं कि हम आदिवासी इस दुनिया में रहें ही नहीं. यह तो हमारे झारखंड के युवा सीएम की देन है कि कुछ न कुछ अब हो रहा है. क्या इसलिए झारखंड बना था. झारखंड बनने के बाद भी आदिवासियों के लिए कुछ नहीं हुआ. इसका ही परिणाम है कि हमारे लोग लुप्त हो रहे हैं. हम इसे बचाने का काम करेंगे. इस मौके पर विभागीय सचिव राजीव अरुण एक्का. सीएम के प्रधान सचिव वंदना दादेल, सीएम के सचिव विनय कुमार चौबे, अपर सचिव अजय नाथ झा, टीआरआई के निदेशक रणेंद्र सहित आदिम जनजातीय समुदाय के कई छात्र-छात्राएं उपस्थित थे. 56 युवक- युवतियों का हुआ है चयन
इन छात्रों का हुआ चयन
पीवीटीजी समुदाय के युवक-युवतियों के निःशुल्क आवासीय कोचिंग के लिए कुल 373 आवेदन मिले थे. इसमें 156 आवेदकों का अंतिम रूप से चयन किया गया. चयनित आवेदकों में 63 युवती और 93 युवक शामिल हैं. इसमें असुर समुदाय के 33, बिरहोर समुदाय के 3, बिरजिया समुदाय के 27, कोरवा समुदाय के 22, परहैया समुदाय के 9, सबर समुदाय के 1, माल पहाड़िया समुदाय के 38, सौरिया पहाड़िया के 23 युवक युवती हैं. इसके अलावा शिक्षण हेतु शिक्षकों की सूची तैयार कर ली गई है.
इसे भी पढ़ें – झारखंड में अब तक सामान्य से 38 फीसदी कम हुई बारिश, चतरा में सुखाड़ जैसी स्थिति
Leave a Reply