Ranchi: राज्य के लाखों बच्चों, गर्भवती एवं धात्री महिलाओं समेकित बाल विकास योजना के तहत दी जाने वाली पोषाहार से वंचित हैं. भोजन का अधिकार अभियान, झारखंड के साथ जुड़े करीब 100 संस्थाओं और संगठनों के साथ 23 से 30 जून तक किए गये सर्वे में इसका खुलासा खुलासा हुआ है. सर्वेक्षण में 24 जिलों के 159 प्रखंडों के 2037 आंगनबाड़ी केंद्रों को शामिल किया गया. जिसमें 8818 परिवार से 6 माह से 3 साल के 7809 बच्चे 3 साल से 6 साल तक के 6560 बच्चे 4459 गर्भवती और धात्री महिलाएं शामिल थे.
इसे भी पढ़ें-BREAKING: केंद्रीय मंत्री बनेंगे पशुपति! अमित शाह ने की बात
कुपोषितों और वंचितों के अधिक परेशानी
कार्यक्रम में सबका स्वागत करते हुए भोजन का अधिकार अभियान, झारखंड के राज्य समन्वयक अशर्फिनंद प्रसाद ने कहा की इस महामारी में सबसे कमजोर, कुपोषित और वंचित वर्गों को सबसे ज्यादा असर झेलना पड़ा है, ऐसे में इन सेवाओं की गुणवत्ता निरंतरता और उपलब्धता की आवश्यकता को देखते हुए ये सर्वेक्षण कार्य किया गया. जिसमें 24 जिलों के 2037 केंद्रों के 881 परिवारों का सर्वेक्षण किया गया. उन्होंने बताया कि 55 % परिवारों को ही जिसमें 3.6 साल के बच्चे थे को जनवरी से जुलाई तक पोषाहार मिल पाया.
इसे भी पढ़ें- बाइक सवार अपराधियों ने दो लोगों को मारी गोली, पुलिस की छानबीन जारी
ज्यूरी सदस्यों ने क्या कहा
इस मौके पर सोशल एक्टिविस्ट बलराम ने कहा कि सरकारें एक दूसरे को जिम्मेदार बता रही हैं. जबकि यह कानून का उल्लंघन है. राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की पूर्व सदस्य डॉ वंदना प्रसाद ने कहा की यह खाद्य सुरक्षा कानून का उल्लंघन तो है ही साथ ही एक भ्रष्टाचार का मामला भी है. इस मामले में उच्च न्यायालय को स्वतः संज्ञान लेना चाहिए. परिवारों को उनका हक दिलाने की पहल करना चाहिए. दिल्ली से जुड़ीं नेहा सिंघल ने कहा कि आंगनबाड़ी को खर्च कर पैसा देने का मॉडल ही त्रुटिपूर्ण है, जिसकी समीक्षा होनी चाहिए.