NewDelhi : उत्तराखंड के बाराहोती इलाके में चीन की PLA के 100 से ज्यादा सैनिक बॉर्डर पार कर भारत में घुसे और कई इन्फ्रास्ट्रक्चर को तहस-नहस कर दिया. वहां से पीछे लौटने से क्रम में चीनी सैनिकों ने एक पुल को भी क्षतिग्रस्त कर दिया. इस खबर की पुष्टि पूर्वी अधिकारियों ने की है. कहा जा रहा है कि लद्दाख में सैनिकों की वापसी पर हो रही सकारात्मक प्रगति के बीच उत्तराखंड के इस इलाके में चीन की घुसपैठ ने खतरे की घंटी है.
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2018 में चीनी सैनिकों ने यहां 3 बार घुसपैठ की थी
इस इलाके में पहले भी चीन द्वारा घुसपैठ की जाती रही है. खबर है कि सितंबर 2018 में चीनी सैनिकों ने यहां 3 बार घुसपैठ की थी. 1954 में यह पहला इलाका था, जहां चीन ने घुसपैठ की थी और बाद में दूसरे इलाकों पर कब्जा करने की कोशिश हुई. इस क्रम में 1962 की जंग लड़ी गयी थी. इस साल 30 अगस्त को हुई घुसपैठ की घटना में आमने सामने की स्थिति पैदा नहीं हुई.
बताया गया है कि जब तक भारतीय सैनिकों से उनका सामना होता चीनी सैनिक लौट चुके थे. इकनॉमिक टाइम्स ने सुरक्षा सूत्रों के हवाले से कहा है कि तुन जुन ला पास पार कर 55 घोड़े और 100 से ज्यादा सैनिक भारतीय क्षेत्र में 5 किमी से ज्यादा अंदर आ गये थे.
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पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ पहले से ही तनाव है
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनाव पहले से ही बना हुआ है. सरकारी अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि चीन के सैनिक सेना के घोड़ों के साथ तुन जुन ला पास पार करके बाराहोती के करीब चारागाह पर आ गये थे. माना जा रहा है कि चीनी सैनिकों का यह ग्रुप करीब तीन घंटे तक यहां मौजूद रहा. सूत्रों के अनुसार यह इलाका असैन्यीकृत क्षेत्र (जहां सैनिक नहीं होते हैं) है, ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में पीएलए सैनिकों की मौजूदगी सुरक्षा प्रतिष्ठानों के लिए चिंता की बात है.
सूत्रों ने बताया कि स्थानीय लोगों ने इस घुसपैठ की जानकारी दी जिसके बाद ITBP और सेना की टीम इसकी पुष्टि के लिए फौरन वहां पहुंच गयी. हालांकि भारतीय गश्ती दल के पहुंचने से पहले ही चीनी सैनिक इलाका खाली कर जा चुके थे. जान लें कि बाराहोती चोटी नंदा देवी नेशनल पार्क के उत्तर में स्थित है, यहां भारतीय सेना और आईटीबीपी के कैंप चीन के किसी भी बड़े ऑपरेशन को नाकाम करने के लिए अलर्ट मोड पर रहते हैं.