Delhi: लोक जनशक्ति पार्टी में जारी घमासान को लेकर बुधवार को चिराग पासवान ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की है. जिसमें चाचा पशुपति पारस के साथ जारी विवाद को लेकर चिराग ने अपना रुख साफ किया है. चिराग पासवान ने कहा कि पिछले कुछ समय से मेरी तबीयत खराब थी. लिहाजा मैं पिछले कुछ दिनों से बाहर नहीं आ पाया. और सिर्फ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस से सबकुछ नहीं निकलेगा. ये लड़ाई लंबी है. चिराग पासवान ने कहा कि 8 अक्टूबर को पिताजी का निधन हुआ और उसके बाद चुनाव आ गया था. हालांकि वो काफी मुश्किल वक्त था. लेकिन चुनाव के दौरान लोगों ने बड़ा समर्थन दिया. हमें 25 लाख से अधिक वोट मिले. जदयू की वजह से हम गठबंधन से अलग हुए थे और अकेले ही चुनाव लड़ा.
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विरोध के बावजूद पार्टी को मिला जनता का समर्थन
विधानसभा चुनाव में एलजेपी को जीत मिली है. उसे संख्या से नहीं आंकें, हमें 6 फीसदी वोट मिला, मैंने किसी भी हालत में मुद्दे पर समझौता नहीं किया और जेडीयू के साथ अलग रहेंगे. यह पार्टी का फैसला था. चिराग पासवान ने कहा कि मेरे चाचा पशुपति पारस ने भी विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचार में कोई भूमिका नहीं निभाई. चिराग ने बताया कि जब पापा अस्पताल थे, तब भी पार्टी को तोड़ने की बात सामने आई थी. लेकिन पार्टी में कुछ लोग संघर्ष करना नहीं चाहते थे. हम अगर बिहार में नीतीश के साथ लड़ते तो कहीं ज़्यादा समर्थन मिलता, लेकिन इसके लिए मुझे नतमस्तक होना पड़ता. हालांकि विधानसभा चुनाव में मुझे चाचा सहित कई नेताओं का सहयोग नहीं मिला.
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‘मैं शेर का बेटा हूं. ना मैं पहले डरा हूं. और ना ही आगे डरूंगा’
चिराग पासवान ने कहा कि मैं रामविलास पासवान का बेटा हूं, मैं शेर का बेटा हूं. ना मैं पहले डरा हूं. और ना ही आगे डरूंगा. बिहार की जनता हमारे साथ है, जनता दल यूनाइटेड की तरफ से बांटने की कोशिश की जा रही है. इन्होंने पहले भी दलितों को बांटने की कोशिश की है. मेरी कोशिश पार्टी और परिवार को बचाने की थी. लेकिन कल जब लगा, अब कुछ नहीं हो सकता तो फिर मैंने उनको निकाला. मुझे कहते तो मैं उनको लोकसभा नेता बना देता, लेकिन जिस तरीके से उनको नेता चुना गया वो प्रक्रिया गलत थी. यह निर्णय संसदीय बोर्ड के पास है.
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लोक जनशक्ति पार्टी में घमासान
दरअसल, एलजेपी के छह सांसदों में पांच सांसदों ने बगावत कर चिराग की जगह पशुपति कुमार पारस को संसदीय दल का नया नेता नियुक्त किया है. चिराग पासवान ने इसके जवाब में पटना में मंगलवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर इन सभी असंतुष्ट नेताओं को पार्टी से निकाल दिया. पशुपति कुमार पारस चिराग पासवान के चाचा और पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत राम विलास पासवान के भाई हैं. बतौर पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान ने सांसदों की पार्टी सदस्यता समाप्त करने का ऐलान किया. इस बात की सूचना उन्होंने चुनाव आयोग और लोकसभा स्पीकर को भी भेज दी है. उधर, चिराग के चाचा पारस ने चिराग को ही पार्टी के अध्यक्ष पद से हटाने और सूरजभान सिंह को कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का ऐलान कर दिया. फिलहाल ये फैसला अब चुनाव आयोग को करना है कि रामविलास पासवान की पार्टी पर वाजिब हक उनके बेटे चिराग पासवान का है या भाई पशुपति पारस का.
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