Patna : एलजेपी की अंदरूनी लड़ाई अब खुलकर सड़क आ गयी है. जिससे बिहार की राजनीति में बड़ा भूचाल आ गया है. एलजेपी में वर्चस्व की लड़ाई में चाचा और भतीजा आमने-सामने हैं. पार्टी के सभी सांसदों के साथ मिलकर पशुपति पारस ने पार्टी पर अपना दावा कर दिया है. साथ ही चिराग पासवान को पार्टी के अध्यक्ष पद से हटा दिया है.
इस कदम से नाराज पशुपति पारस के दिल्ली स्थित आवास के बाहर चिराग के समर्थक हंगामा कर रहे हैं. फिलहाल वहां भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है. हालांकि चिराग का अगला कदम क्या है और वे क्या फैसला लेते हैं,इसी को लेकर पीसी रखी गयी थी, लेकिन वह अंतिम समय में टाल दी गयी.
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पारस गुट ने सूरज भान को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया
पशुपति पारस गुट की ओर से सूरज भान को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. साथ ही उन्हें जिम्मेदारी दी गयी है कि वे जल्द से जल्द पार्टी के अध्यक्ष के लिए चुनाव करवायें. इसके अलावा पहले ही लोकसभा में पशुपति पारस पार्टी के सदन के नेता बन चुके हैं. जिसे लेकर चिराग पासवान ने बुधवार दोपहर 1 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी थी, जिसे कैंसल कर दिया गया .
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चिराग की स्पीकर से मांग, उन्हें संसदीय दल का नेता नियुक्त किया जाये
खबर है कि चिराग पासवान ने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को पत्र लिखा है. चिराग ने अपने पत्र में स्पीकर से अपील की है कि पार्टी के संसदीय दल के नेता के रूप में पशुपति पारस को मान्यता देने के फैसले पर फिर से विचार किया जाये. चिराग का कहना है कि यह फैसला पार्टी के नियम के अनुसार नहीं है, पार्टी का अध्यक्ष ही संसदीय दल का नेता चुन सकता है. चिराग पासवान मांग की है कि फिर से उन्हें संसदीय दल का नेता नियुक्त किया जाये.
पशुपति पारस की चुनाव आयोग से मांग, उनके गुट को असली एलजेपी के रूप में मान्यता दें
पशुपति पारस ने पार्टी संसदीय दल का नेता बनने के बाद चुनाव आयोग से उनके नेतृत्व में अलग हुए गुट को असली एलजेपी के रूप में मान्यता देने के लिए कहा है. तकनीकी रूप से चिराग अभी भी पार्टी अध्यक्ष हैं. वहीं सूत्रों के अनुसार पारस और चिराग दोनों ही पार्टी पर अपना-अपना दावा पेश करने के लिए कानूनी सलाह में जुटे हुए हैं.
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लोजपा में जो राजनीतिक घमासान मचा हुआ है, उसे लेकर पार्टी में दोनों ओर बैठकें भी चल रही हैं. वहीं ऐसे में पशुपति पारस आज पटना पहुंच रहे हैं. हालांकि वे पहले की कह चुके हैं, चिराग पासवान को पार्टी से किसी को भी बाहर निकालने का अधिकार नहीं है.
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