- न्याय नहीं मिलने से परेशान महताब आलम के पिता ने वीडियो जारी कर बताया अपना दर्द
- विपक्ष में रहते राजनीतिक दलों ने मुद्दा को जोर-शोर से उठाया, सत्ता में आने के बाद भूल गयी सभी वादे
Ranchi : झारखंड के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव पर हजारीबाग के विभिन्न थानों में कई केस दर्ज हैं. इसमें सबसे प्रमुख चिरुडीह (बड़कागांव) में एक अक्टूबर 2016 को घटी वह घटना है, जिसमें चार की मौत हो गयी थी. वहीं ढेंगा में छह लोग घायल हुए थे. पूर्व मंत्री इसी मामले में रांची जेल में सजा काट रहे हैं. पिछले दिनों यह खबर मीडिया में आयी है कि राज्य सरकार चिरुडीह कांड सहित पूर्व मंत्री पर लगे सात आरोपों को वापस लेने पर विचार कर रही हैं. इसके लिए सरकार ने लोक अभियोजक से राय मांगी है. लेकिन सरकार ने इससे पहले यह विचार तक नहीं किया कि अब उन पीड़ित परिवार का क्या होगा, जो इस कांड में पुलिस के गोली के शिकार हुए थे. अगर योगेंद्र साव पर दर्ज केस सरकार वापस ले लेती है, तो सरकार को पहले यह सोचना चाहिए कि न्याय और अधिकार की आस में रहे लोग की हालत क्या होगी.
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केस वापस लेने की पहल करके सरकार ने जख्म पर नमक छिड़कने का किया काम
बता दें कि रघुवर सरकार में एनटीपीसी के खिलाफ जनता के हितों को आगे कर योगेंद्र साव ने कई आंदोलन किए. कई बार पुलिस और जनता के बीच झड़पें भी हुई. कई लोग घायल हुए, जेल गये और मारे भी गये. तब विपक्ष के सभी राजनीतिक दलों ने बड़कागांव की घटनाओं का विरोध कर रघुवर सरकार पर हमला भी किया. 2019 के विधानसभा चुनाव में यूपीए गठबंधन दल के नेताओं ने बड़कागांव आंदोलन में हुए मुकदमों की जांच, पीड़ितों को न्याय और जनता को अधिकार दिलाने की भी घोषणाएं की. इसी मुद्दे के लहर पर सवार होकर योगेंद्र साव की बेटी अंबा प्रसाद विधायक भी बन गईं. लेकिन आज जब वही विपक्ष सत्ता में हैं, तो योगेंद्र साव पर केस वापसी लेने की पहल करके सरकार ने बड़कागांव की जनता के जख्म पर नमक छिड़कने का काम किया है.
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आज तक योगेंद्र साव या उसकी बेटी अंबा प्रसाद ने भी नहीं ली है सुध
जिस पूर्व मंत्री के एक आवाज पर बड़कागांव के हजारों लोग सड़कों पर उतरकर अपनी जान गंवाये थे, आज भी वे न्याय की आस लगाये बैठे है. विधायक अंबा प्रसाद तो पीड़ितों को न्याय दिलाने के वादों से विधायक बन गयी, लेकिन विधायक बनने के बाद भी उसने एक बार फिर पीड़ित परिवार के अधिकारों को लेकर आवाज तक नहीं उठायी न ही पीड़ित परिवार की सुध ली.
मारे गये महताब आलम के पिता ने कहा, ‘योगेंद्र साव ने मदद के तौर पर दी केवल 100 रुपये’
चिरुडीह गोली कांड में मारे गये महताब आलम के पिता ने एक वीडियो में कहा है कि पूर्व मंत्री योगेंद्र साव ने मदद के नाम पर आज तक केवल 100 रुपये ही दिये है. पिछले कई सालों से केस चल रहा है. लेकिन आज तक उन्हें या मारे गये अन्य लोगों को कोई इंसाफ नहीं मिला है. वकील 40,000 मांगता है. नहीं देने पर कहता है कि केस नहीं लड़ेगा. महताब आलम कहते हैं कि योगेंद्र साव जैसे नेता के पीछे तो हम मर गये. अब 40,000 रुपये कहा से लाये. बाद में पीड़ित परिवार के लोगों ने जब एनटीपीसी कंपनी से मदद मांगी, तो कहा गया कि केस वापस लीजिए तो परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी और 8 लाख रुपये मुआवजा राशि दी जाएगी. जबकि वर्तमान विधायक अंबा प्रसाद ने तो आज तक किसी तरह की मदद नहीं मिली है.
सरकार बताना भूल गयी कि गोलीकांड में मारे गए या घायलों को कब मिलेगा न्याय
दर्ज केस को वापसी की मांग कर रही विधायक अंबा प्रसाद या सरकार का उद्देश्य केस वापसी कर केवल पूर्व मंत्री को राहत दिलाना है. दर्ज केस वापसी की सलाह मांगने से पहले यह भूल गयी कि गोलीकांड में हुए मृतकों-घायलों के लिए न्याय या अनुदान कब मिलेगा. सरकार यह बताना भी भूल गयी कि चार लोगों की मौत और दर्जनों घायलों के जिम्मेवार किसको मानती है या मानेगी. बता दें कि सरकार ने बड़कागांव कांड संख्या 135/16,136/16 व अन्य केसों पर ही राय मांगी है. लेकिन बड़कागांव थाना में उक्त दोनों मुकदमों के पहले कांड संख्या 134/16 का केस पर नहीं. क्योंकि इस केस में सिर्फ आम ग्रामीणों के नाम हैं न कि योगेंद्र-साव या उसकी पत्नी व पूर्व विधायक निर्मला देवी का.