NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को संपन्न हुई क्लैट 2020 की परीक्षा को रद्द करने से इनकार कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने काउंसलिंग प्रक्रिया पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया है. दरअसल कथित रूप से इस परीक्षा तकनीकी गड़बड़ियों की शिकायत की गयी थी.
कोर्ट ने तकनीकी गड़बड़ी के आधार पर प्रवेश परीक्षा रद्द करने का अनुरोध करने वाले पांच अभ्यर्थियों से कहा कि वे तीन दिन के भीतर अपनी शिकायतें समस्या समाधान समिति को दें.
परीक्षा का आयोजन 28 सितंबर को हुआ था
क्लैट देश के 23 राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों (एनएलयूज) में कानून की पढ़ाई के लिए केन्द्रीयकृत राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा है. इस परीक्षा का आयोजन 28 सितंबर को हुआ था और इसके परिणाम तीन अक्टूबर को घोषित हुए थे.
न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ को एनएलयूज की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस नरसिम्हा ने सूचित किया कि परीक्षा से संबंधी शिकायतों के लिए रिटायर्ड प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता में शिकायत समाधान समिति है, जो याचिकाओं के मुद्दों पर विचार कर सकती है.
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि पेश मामले के तथ्यों के आलोक में हमारा मानना है कि याचिकाकर्ताओं को आज से तीन दिन के भीतर अपना प्रतिवेशन शिकायत समाधान समिति को पेश करने की छूट प्रदान करने से न्याय होगा.
कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि याचिकाकर्ताओं के प्रतिवेदन पर समिति जल्द से जल्द विचार करेगी.
क्लैट 2020 में शामिल होने वाले याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन से पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि हम काउंसलिंग नहीं रोक सकते.
क्लैट को लेकर कई आपत्तियां मिली हैं
शंकरनारायणन ने पीठ से कहा कि ऑनलाइन परीक्षा में तकनीकी गड़बड़ी थी और कुछ प्रश्नों के जवाब सही नहीं थे. उन्होंने दावा किया कि साफ्टवेयर ने कुछ जवाबों को सही तरीके से दर्ज नहीं किया और क्लैट के विभिन्न पहलुओं को लेकर करीब 40,000 आपत्तियां मिली हैं. लेकिन करीब 19,000 आपत्तियों के बारे में एनएलयूज के कंसोर्टियम की ओर से कोई जवाब नहीं मिला है.शंकरनारायणन ने कहा कि साफ्टवेयर की गड़बड़ी की वजह से ऐसी स्थिति पैदा हुई, जैसी पहले कभी नहीं हुई थी.
उन्होंने कहा कि प्रश्न पत्रों और जवाब तालिका में अनेक गलतियां हैं. पहली बार कुल 150 अंकों में से 50 प्रतिशत अंक सिर्फ तीन प्रतिशत छात्र ही हासिल कर सके हैं. इस पर पीठ ने कहा कि यह परेशानी का समय है.
‘महामारी के दौरान अंतहीन काउंसलिंग नहीं हो सकती’
नरसिम्हा ने कहा कि महामारी के दौरान अंतहीन काउंसलिंग नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधान न्यायाधीश एस राजेन्द्र बाबू की अध्यक्षता में समिति है और वह गंभीर शिकायतों पर गौर करेंगे.उन्होंने कहा कि प्रवेश परीक्षा के नतीजे घोषित होने के बाद काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने अपनी काउंसलिंग पूरी कर ली है.
सुप्रीम कोर्ट ने 21 सितंबर को एनएलएसआइयू, बेंगलुरू की 12 सितंबर को पांच वर्षीय पाठ्यक्रम के लिए एनएलएटी प्रवेश परीक्षा की अधिसूचना निरस्त कर दी थी और उसे निर्देश दिया था कि क्लैट 2020 के नतीजों के आधार पर छात्रों को प्रवेश दिया जाये.
कोर्ट ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा निर्धारित प्रकिया का पालन करते हुए राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों की कंसोर्टियम को 28 सितंबर को क्लैट 2020 की परीक्षा आयोजित करने का निर्देश दिया था.