Saurav Singh
Ranchi : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भले ही राजनीतिक एजेंडे के तहत पत्थर खनन घोटाले में कथित रूप से फंसाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की आलोचना कर रहे हों, लेकिन पूछताछ के दौरान उन्होंने मजाकिया लहजे में सलाह देकर ईडी को भी खुश कर दिया. ईडी ने 17 नवंबर को हेमंत सोरेन से करीब साढ़े नौ घंटे तक पूछताछ की थी. सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री और ईडी अधिकारियों ने पूछताछ के दौरान कई बार ब्रेक लिया. ऐसे ही एक ब्रेक के दौरान हेमंत सोरेन ने ईडी के अधिकारियों से कहा कि साहिबगंज खनन घोटाले में ईडी की छापेमारी और जांच बिल्कुल खराब नहीं है. ईडी द्वारा जांच शुरू करने के बाद खनन से राज्य का राजस्व बढ़ा है. ईडी को साहिबगंज में भी अपना कार्यालय खोलना चाहिए. हालांकि एजेंसी के लोगों को यकीन नहीं है कि यह प्रशंसा थी या मजाक. क्योंकि हेमंत सोरेन खनन घोटाले की ईडी जांच की आलोचना करते रहे हैं. 1000 करोड़ के घोटाले के आरोप के सिलसिले में उन्होंने ईडी को एक पत्र भी लिखा है.
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सवालों का सीएम ने सूझ-बूझ से जवाब दिया
सूत्रों के अनुसार, ईडी द्वारा पूछे गए तमाम सवालों का सीएम ने सूझ-बूझ से जवाब दिया. अपनी संपत्ति, बैंक विवरण और लेन-देन के बारे में विवरण प्रस्तुत करने के लिए ईडी से समय मांगा. इस दौरान ईडी के अधिकारियों ने भी सुझाव दिया कि किसी कानूनी परेशानी से बचने के लिए उन्हें सावधानीपूर्वक अपनी संपत्ति का ब्योरा भरना चाहिए. पंकज मिश्रा, जो हेमंत के विधायक प्रतिनिधि हैं, की अवैध खनन में मुख्य भूमिका निभाने का आरोप लगाया गया है. पंकज मिश्रा का सहयोगी दाहू यादव पत्थर के अवैध खनन और परिवहन में कथित रूप से शामिल रहा है. ईडी का कहना है कि सीएम ने पंकज मिश्रा और दाहू यादव को संरक्षण दिया था. लेकिन सीएम ने इन सभी आरोपों का खंडन किया. उन्होंने इस बात से इनकार किया कि पंकज मिश्रा की अवैध खनन गतिविधि के बारे में उन्हें कोई जानकारी थी. उन्होंने पंकज मिश्रा को गलत कार्यों में कभी संरक्षण नहीं दिया.
पंकज मिश्रा को संरक्षण देने के आरोप को नकारा
सूत्रों के मुताबिक, हेमंत सोरेन ने ईडी पूछताछ के दौरान कहा कि अगर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले दाहू यादव जैसा व्यक्ति खुलेआम अवैध परिवहन में लिप्त था, तो स्थानीय प्रशासन से इस बारे में पूछा जाना चाहिए. इसके बाद ईडी ने उनके सामने पंकज मिश्रा और दाहू यादव के सीएम से जुड़े कुछ सबूत पेश किए. पंकज मिश्रा के बयान के एक हिस्से से उनका सामना हुआ. ईडी को उन्होंने बताया कि अवैध खनन के लिए पंकज मिश्रा को कोई संरक्षण नहीं दिया था. जबकि ईडी के मुताबिक जांच के दौरान सरकारी कर्मचारियों ने कहा था कि वे पंकज मिश्रा के सामने बेबस थे, क्योंकि वह सीएम के करीबी थे.
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