LagatarDesk: कोरोना महामारी के कारण इस साल देश की आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं, जिसके कारण कोयले की मांग में भारी गिरावट आयी है. ऐसी स्थिति को देखकर केंद्र सरकार ने कोल सेक्टर में प्राइवेट कंपनियों को इंट्री दे दी है. केंद्र सरकार ने 19 कोल सेक्टर का ऑक्शन किया. आंकड़ो के मुताबिक, पिछले साल की तुलना में इस साल कोयले की मांग में 5 फीसदी की कमी आयी है. इसी को देखते हुए कोल इंडिया लिमिटेड 2021 में गैर कोयला क्षेत्रों में इंट्री की योजना बना रही है.
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कोल इंडिया के सचिव अनिल कुमार जैन ने कहा कि कोल इंडिया कोल माइनिंग के अलावा अन्य सेक्टर में निवेश करेगी, ताकि फॉसिल फ्यूल से कंपनी का ट्रांजिशन अन्य सेक्टर की तरफ हो सके. साल 2021 में कोल इंडिया एलुमिनियम प्रोडक्शन एंड माइनिंग और सोलर एनर्जी सेक्टर में प्रवेश करेगी. कोल इंडिया लिमिटेड ने 100 करोड़ टन कोयला उत्पादन का भी लक्ष्य निर्धारित किया है.
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100 करोड़ टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य
अनिल कुमार जैन ने कहा कि आने वाले समय में कोयला उत्पादन को लेकर कोल इंडिया ने 2023-24 तक 100 करोड़ टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है. इसके लिए कंपनी ने 2.5 लाख करोड़ रुपये की निवेश की योजना बनायी है. इसमें से कुछ राशि क्लीन कोल टेक्नोलॉजी और अन्य पर खर्च की जायेगी, शेष राशि को कोल प्रोडक्शन बढ़ाने पर खर्च किया जायेगा. कोल इंडिया के अध्यक्ष प्रमोद अग्रवाल ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में 66 करोड़ टन कोल उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. नवंबर तक 33.4 करोड़ टन कोयला का उत्पादन हो चुका है. ग्लोबल कोल खपत 2018-2020 के बीच 50 करोड़ टन घटने का अनुमान है.
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2021 में बढ़ सकती है कोयले की खपत
पिछले साल 2019 में वैश्विक स्तर पर कोयला के खपत में दो साल की ग्रोथ के बाद 1.8% की कमी आयी थी, क्योंकि भारत समेत कई देशों में बिजली उत्पादन के लिए कोयले का कम प्रयोग हो रहा है. विश्लेषकों का कहना है कि अगले साल 2021 में कोयले की मांग बढ़ सकती है और इसकी कीमतों में भी वृद्धि हो सकती है. अक्टूबर महीने में मूडीज की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत समेत अन्य एशियाई देशों में अगले साल 2021 में कोयले की मांग में 3.8 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है. भारत में इलेक्ट्रिसिटी डिमांड और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए स्टील और सीमेंट की मांग में बढ़ोतरी के कारण कोयले के मांग भी बढ़ेगी.
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रोजगार के नये मौके होंगे तैयार
केंद्र सरकार ने इस साल 38 कोल माइन्स को नीलामी के लिए रखा था. जिसमें 19 माइन्स का ऑक्शन हुआ. इस साल नीलामी प्रक्रिया को प्राइवेट कंपनियों के लिए भी खोल दिया गया था. इस नीलामी प्रक्रिया में माइनिंग सेक्टर कंपनियों के साथ फॉर्मा, रीयल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की कंपनियां भी शामिल हुई थी. इस नीलामी में 42 कंपनियां शामिल हुई थीं जिसमें से 40 निजी सेक्टर की थीं. सरकार को 23 माइन्स के लिए 76 बिड्स प्राप्त हुए थे.
सरकार को उम्मीद है कि इन 19 कोल माइन्स के जरिये सालाना 7 हजार करोड़ का इनकम जेनेरेट होगी और 69 हजार से अधिक रोजगार के नये मौके तैयार होंगे. इस नीलामी में अडाणी एंटरप्राइजेज, वेदांता, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज और जिंदल पावर जैसे कई बड़े कॉरपोरेट सेक्टर को कोल ब्लॉक एलोट हुए हैं.
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