Ranchi : पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का की गिरफ्तारी की मांग की है. उन्होंने इस प्रकरण की जांच न्यायिक आयोग से कराये जाने पर भी सवाल उठाया है. उन्होंने मंगलवार को विधानसभा परिसर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि पहले भी सीएम अपराधियों को बचाने की कोशिश करते आ रहे हैं. कहा कि आइएएस अधिकारी राजीव अरुण एक्का को जैसे ही ईडी द्वारा सम्मन किया गया, तो उन्हें बचाने के लिए उनका विभाग बदल दिया गया. उन पर एफआईआर दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी होनी चाहिए. उन्हें बचाने के लिए झारखंड हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश बीके गुप्ता की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित कर दी गयी. उन्होंने कई गड़बड़ियां की है.
मुख्य सचिव को पत्र भी लिखा है
मरांडी ने कहा कि उन्हाेंने मुख्य सचिव को पत्र भी लिखा है. पुलिस निगम में जीफ इंजीनियर की कैसे बहाली हुई. एक्सटेंशन हुआ. एक ही दिन में कैसे फाइल बढ़ी. पुलिस निगम की ओर से गोड्डा में पुलिस हाउस का टेंडर हुआ और विशाल चौधरी की कंपनी को टेंडर दे दिया गया. वहीं विशाल चौधरी के घर पर जब छापा पड़ा, तो टेंडर को रद्द कर दिया गया. सिक्यूरिटी मनी को विभाग ने वापस कर दिया. क्या खेल चल रहा है. उस समय सचिव राजीव अरुण एक्का थे और उन्होंने अपने प्रभाव का कैसे इस्तेमाल किया, यह एक नमूना है. मुख्यमंत्री अगर कार्रवाई नहीं करेंगे तो ऊपर की एजेंसी जांच करेगी ही.
अवैध माइनिंग में लगे अपने लोगों को बचाने की मंशा
मरांडी ने कहा कि इससे पहले साहिबगंज में माइंस लोडिंग को लेकर न्यायिक आयोग का गठन करने की घोषणा सरकार के द्वारा की गई थी, जिसका अध्यक्ष जस्टिस विनोद कुमार गुप्ता को बनाया गया था. इस जांच आयोग को जो जिम्मेदारी दी गई, वह भी आपत्तिजनक है. जहां से खनन का काम होता है और रेलवे तक पहुंचाया जाता है, उसकी जांच करने के बजाए आयोग को सिर्फ रेलवे की ढुलाई के लिए जांच करने की जिम्मेदारी दी गई है, जो अपने आप में हास्यास्पद है. इसके पीछे सरकार की मंशा यही है की अवैध माइनिंग में लगे अपने लोगों को बचाया जा सके.
सीएम सदन को बताएं कि कौन सी नियोजन नीति बनायी
बाबूलाल ने कहा कि विपक्ष की एक ही मांग है, मुख्यमंत्री आकर बताएं कि कौन सी नियोजन नीति बनायी है. पूरे राज्य की जनता दिग्भ्रमित है. पहले मुख्यमंत्री ने राज्य की जनता को 1932 का खतियान लागू करने की बात कही. यह सब कहां गया ? राज्य के युवा ही कह रहे हैं कि 60- 40 नय चलतऊ. विपक्ष तो पूछेगा ही और सत्र के दौरान मुख्यमंत्री को यह सब बताना चाहिए. सीएम अपने ही निर्णय को नहीं बता रहे हैं.
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