NewDelhi : कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि आपातकाल को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का केंद्र सरकार का कदम सुर्खियां बटोरने की कवायद भर है, जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 से 2024 के दौरान देश में अघोषित आपातकाल लगाया हुआ था. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि चार जून, 2024 का दिन इतिहास में मोदीमुक्ति दिवस के रूप में दर्ज होगा. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री एक बार फ़िर हिपोक्रेसी से भरा एक हेडलाइन बनाने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन भारत के लोगों से 4 जून, 2024 — जिसे इतिहास में मोदी मुक्ति दिवस के नाम से जाना जाएगा — को मिली निर्णायक व्यक्तिगत, राजनीतिक और नैतिक हार से पहले उन्होंने दस सालों तक अघोषित…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) July 12, 2024
“To observe 25th June as #SamvidhaanHatyaDiwas will serve as a reminder of what happens when the Constitution of India was trampled over. It is also a day to pay homage to each and every person who suffered due to the excesses of the Emergency, a Congress unleashed dark phase of… pic.twitter.com/SK4lCw8Z6l
— Press Trust of India (@PTI_News) July 12, 2024
संविधान हत्या दिवस 25 जून को मनाया जाना याद दिलायेगा कि संविधान को रौंदा गया था
केंद्र सरकार ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है, जिस दिन 1975 में आपातकाल की घोषणा की गयी थी. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संविधान हत्या दिवस 25 जून को मनाया जाना हमें याद दिलायेगा कि जब संविधान को रौंदा गया था, तो क्या हुआ था, रमेश ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में कहा, नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री द्वारा पाखंड में सुर्खियां बटोरने की एक और कवायद की गयी है, जबकि उन्होंने भारत के लोगों द्वारा चार जून, 2024 को व्यक्तिगत, राजनीतिक और नैतिक हार सुनिश्चित किये जाने से पहले 10 वर्षों तक अघोषित आपातकाल लगाया था. उन्होंने कहा कि चार जून, 2024 को इतिहास में मोदीमुक्ति दिवस के रूप में दर्ज किया जायेगा.
मोदी एक नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री हैं
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि मोदी एक नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने भारत के संविधान और उसके सिद्धांतों, मूल्यों और संस्थानों पर सुनियोजित हमला किया है. रमेश ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा, यह एक नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री हैं, जिनके वैचारिक परिवार ने नवंबर, 1949 में भारत के संविधान को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि यह मनुस्मृति से प्रेरणा नहीं लेता है. यह एक ऐसे ‘नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री हैं, जिनके लिए डेमोक्रेसी(लोकतंत्र) का मतलब केवल डेमो-कुर्सी है.
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