Faisal Anurag
बिहार में खराब प्रदर्शन के बाद कांग्रेस नेतृत्व एक बार फिर निशाने पर है. राष्ट्रीय जनता दल के उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को लेकर टिप्प्णी किया है तो कांग्रेस नेता कपिल सिब्ब्ल ने एक फिर सवाल उठाये हैं. कपिल सिब्ब्ल उन 23 नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने सोनिया गांधी को चर्चित पत्र लिखा था. उस पत्र को लेकर कांग्रेस में खलबली मच गयी थी. बिहार में कांग्रेस ने बार्गेन करते हुए महागठबंधन में 70 सीटें हासिल की. लेकिन मात्र 19 ही जीत पायी. महागठबंधन में शामिल पांच दलों में यह सबसे खराब प्रदर्शन है.
शिवानंद तिवारी ने राहुल गांधी को आड़े हाथों लिया है. उनका आरोप है कि बिहार के चुनाव प्रचार से ज्यादा दिलचस्पी राहुल गांधी ने अपनी बहन प्रियंका के साथ उनके शिमला स्थित घर पर पिकनिक मनाने में लगायी. राहुल गांधी ने मात्र तीन बार बिहार चुनाव प्रचार करने आये. प्रियंका गांधी जो कि कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल थीं, एक बार भी बिहार आने की जहमत नहीं उठायी. शिवानंद तिवारी ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि, यहां चुनाव अपने पूरे ज़ोर पर था लेकिन राहुल गांधी शिमला में प्रियंका गांधी के घर पर पिकनिक मना रहे थे.क्या इस तरह से पार्टी चलती है?
शिवानंद तिवारी ने कहा कि ‘आरोप तो यह लग सकता है कि कांग्रेस पार्टी जिस तरह से अपना कारोबार चला रही है, उससे बीजेपी को ही फ़ायदा हो रहा है’.उन्होंने कहा कि यह स्थिति सिर्फ़ बिहार में ही नहीं है. दूसरे राज्यों में भी कांग्रेस अधिक से अधिक संख्या में सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए ज़ोर देती है, लेकिन वे अधिक से अधिक सीटें जीतने में कामयाब नहीं होती है. कांग्रेस को इस बारे में विचार करना चाहिए. कांग्रेस नेता तरीक अनवर ने भी चुनाव परिणामों पर असंतोष प्रकट करते हुए गंभीर सवाल उठाये हैं.
सीपीआई माले के नेता दीपंकर भट्टाचार्य पहले ही कह चुके हैं कि कांग्रेस के प्रदर्शन पर महागठबंधन पर नकारात्मक असर पड़ा. कांग्रेस पर आरोप है कि उसने 70 सीटों के लिए जिस तरह दबाव बनाया, उसके ठीक विपरीत चुनाव लड़ने पर ध्यान दिया. एक तरफ जहां राजद और लेफ्ट ने अपनी पूरी ताकत झोंक दिया. वहीं कांग्रेस का प्रचार अभियान बिखरा हुआ था. कांग्रेस पर पैराशूट नेताओं को चुनाव में उतारने का आरोप भी है.
कपिल सिब्ब्ल ने इंडियन एक्सप्रेस को दिये इंटरव्यू में कहा है कि बिहार के चुनावों में और देश के अन्य राज्यों में हुए उपचुनावों में लोगों ने कांग्रेस को एक प्रभावी विकल्प के रूप में नहीं देखा है. यह एक गंभीर संकेत है. उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी नेत्तृत्व कांग्रेस जिन समस्याओं का सामना कर रही है, उसे देख नहीं पा रही है और न ही उसे एड्रेस कर पा रही है.
कपिल सिब्बल कहते हैं कि पार्टी की समस्याओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और न ही टालना चाहिए. मध्यप्रदेश और गुजरात में भी उपचुनावों में कांग्रेस ने जिस तरह चुनाव लड़ा, उससे पार्टी की संगठनात्मक कमजोरियां ही बेपर्द हुई हैं. 23 नेताओं ने पत्र लिखकर पार्टी को गतिशील बनाने और पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग की थी. तीन माह बीत जाने के बाद भी पार्टी इन सवालों पर सक्रिय नहीं दिख रही है. भाजपा जहां निकाय चुनाव भी पूरी ताकत लगाकर लड़ती है, वहीं एक राज्य के चुनाव में कांग्रेस नेतृत्व की भूमिका को लेकर सवाल उठना स्वाभाविक है.
तेजस्वी यादव ने न केवल चुनाव प्रचार कर रूख बदला बल्कि एनडीए की नींदें भी उड़ा दी.
राहुल गांधी सोशल मीडिया में केंद्र सरकार पर प्रहार करने का कोई अवसर नहीं छोडते हैं. उनके विरोधी भी मानते हैं कि उन्होंने पूरे साहस के साथ मोदी सरकार पर हमले किये. लेकिन राज्यों के चुनाव में जिस तरह की कोताही दिखती है, उससे गठबंधन के सहयोगियों का निराश होना स्वाभाविक है. स्वास्थ्य कारणों से सोनिया गांधी तो क्षेत्र की यात्रा नहीं करती हैं, लेकिन पार्टी के दूसरे बड़े नेता भी वह गंभीरता नहीं दिखा पाते हैं, जो एक विरोधी दल से अपेक्षा की जाती है.
2017 के गुजरात विधानसभा के चुनाव में राहुल गांधी ने सघन प्रचार किया था और कांग्रेस की दमदार उपस्थिति करायी थी. लेकिन बाद के चुनावों में वे राज्यों में सक्रियता नहीं दिखा पाते हैं. बिहार के बाद अब चुनावी राजनीति बंगाल शिफ्ट हो चुकी है. भाजपा ने अपना अभियान तेज कर दिया है. लेकिन कांग्रेस का नेतृत्व बंगाल के मामले में भी बिहार जैसा ही रूख दिखा रहा है.
कपिल सिब्बल ने जो कुछ कहा है, यह उनकी निजी राय नहीं है. बल्कि कांग्रेस के अनेक नेताओं के विचार भी हैं. कांग्रेस नेतृत्व को आत्म अवलोकन से बचना नहीं चाहिए, बल्कि उठने वाले सवालों का ठोस जबाव तलाश करना चाहिए.