Ranchi : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश केंद्रीय बजट 2023- 24 पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि इसमें आशा के विपरीत शिक्षा, स्वास्थ्य एवं ग्रामीण भारत की जीवन रेखा मनरेगा के बजट में कटौती की गई है. उन्होंने कहा कि वे एक आशावादी व्यक्ति हैं. कोरोना काल के बाद के समय में प्रस्तुत इस वर्ष के बजट से उनके जैसे करोड़ों आदिवासी, दलित, पिछड़े, किसान, युवा, महिला और मजदूर उम्मीद लगाये हुए थे. उम्मीद थी कि स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार जो कि कोरोना महामारी के समय सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे, उसको लेकर विशेष प्रबंध किये जाएंगे. उम्मीद थी कि जीएसटी कंपनसेशन के लिए समय बढ़ाया जाएगा, लेकिन इस बजट में ऐसा कुछ नहीं देखा गया है.

नौकरी, रोजगार, महंगाई पर बजट में चुप्पी चिंताजनक
मुख्यमंत्री ने कहा कि नौकरी, रोजगार, महंगाई आदि विषयों पर बजट में चुप्पी चिंताजनक है. विभिन्न कृषि उत्पादों पर मिलने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बढ़ाने पर कोई चर्चा नहीं की गई है. उन्हें तो लगता है कि केंद्र सरकार ने मान लिया है कि इनके घोषणा करने मात्र से ही किसानों की आय दोगुनी हो गयी है.
बजट में झारखंड की नजर से क्या है, ढूंढ़ने का प्रयास
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम तो झारखंड की नजर से इसमें अपने राज्य के लिए क्या किया गया, वह ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं. देश को प्रति किलोमीटर रेल पटरी के आधार पर सबसे ज्यादा मुनाफा कमा कर देने वाले हैं हम. ऐसे में यात्री रेल के परिचालन का दायरा बढ़ना चाहिए था. हमें नई रेल लाइन मिलनी चाहिए थी. नयी ट्रेन मिलनी चाहिए थी. एयरपोर्ट युग से किनका भला होगा, वह हम समझते हैं.
मध्यम वर्ग को सहारा देने के लिए भी सिर्फ शिगूफा छोड़ा गया है
मुख्यमंत्री ने कहा है कि मध्यम वर्ग को सहारा देने के लिए भी सिर्फ शिगूफा छोड़ा गया है. सात लाख वाली नई टैक्स नीति से लोगों ने क्या खोया, क्या पाया वह बाद में समझ में आएगा. बचत को हतोत्साहित करने वाला यह बजट गरीब और मध्यम वर्ग के भविष्य को भी असुरक्षित करने वाला है.

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