तुरंत कदम उठाने पर मेकॉन कर्मियों के संक्रमण में आयी कमी
Ranchi: केवल बद इंतजामी के कारण ही रेल कर्मियों में कोरोना का संक्रमण कम नहीं हो रहा है. यहां संक्रमितों की संख्या अभी भी ढाई सौ के करीब है. जबकि रांची की संस्था मेकॉन ने अपने यहां तेजी से फैल चुके महामारी को केवल व्यवस्था में सुधार कर एक हद तक काबू में कर लिया है. यहां आज संक्रमितों की संख्या 10-15 के आसपास रह गयी है. जबकि रेलवे के दो सौ से अधिक कर्मी और उनके परिजन अब भी संक्रमित हैं.
अप्रैल के दूसरे सप्ताह के बाद से ही रेलवे और मेकॉन में संक्रमण तेजी से फैला. व्यवस्था में देरी की वजह से 27 अप्रैल तक रेलवे में कोरोना संक्रमितों की संख्या 500 तक पहुंच गई थी. 27 मई तक कोरोना की दूसरी लहर में रेलवे के 22 कर्मी इसके कारण जान गंवा चुके हैं. रेलवे अस्पताल की अव्यवस्था के कारण रेल कर्मियों की त्राहिमाम पर सांसद संजय सेठ भी निरीक्षण के बाद इसमें सुधार करने का निर्देश दे चुके हैं.रेल मंडल रांची में करीब पांच हजार रेल कर्मी हैं. जबकि मेकॉन और सेल सेटेलाइट टाउनशिप को मिलाकर करीब चार हजार कर्मी हैं.
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इसके विपरीत राजधानी में स्थित रेल कॉलोनियों से पहले मेकॉन और सेल कर्मियों में कोरोना ने तेजी से रफ्तार पकड़ी थी. 17 अप्रैल तक मेकॉन में संक्रमितों की संख्या 75 के करीब पहुंच गई थी. बगल के सेल टाउनशिप में भी संक्रमण फैलने पर तुरंत ही इनके प्रबंधन ने कदम उठाया. कॉलोनी में बाहरी लोगों का प्रवेश बंद कर दिया गया. आसपास के इलाकों ने स्वयं लॉकडाउन लगाकर सामाजिक दूरी को निर्धारित किया. यहां के कर्मी वर्क फ्रॉम होम और रोटेशन प्रणाली से ड्यूटी कर रहे हैं. इससे संक्रमण में कमी आयी है. मेकॉन की अधिकारी साक्षी के अनुसार यहां संक्रमितों की संख्या दस से भी कम है. कोरोना गाइडलाइन का पालन और कर्मियों में टेस्टिंग और समय पर इलाज से इसमें कमी आयी है.
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लेकिन रेल परिचालन होने और कर्मियों के एक से दूसरी जगह आवाजाही के कारण रेलवे के लिए ऐसे कदम उठाना आसान नहीं है. इसके कारण इसके चालक दल के कई सदस्य भी कोरोना के कारण निधन हो गया. स्टेशन से लेकर डीआरएम कार्यालय के परिचालन विभाग तक इससे प्रभावित हुआ. इस विभाग के कर्मियों ने भी संक्रमण से मौत के शिकार हुए. रेल अधिकारी नीरज के अनुसार शुरुआत में कुछ दिक्कतें थीं. लेकिन समस्या बढ़ने के बाद इसमें लगातार सुधार हो रही है.