Ranchi : झारखंड में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने सबों को डरा दिया. डर इतना कि दुकानदारों ने लॉकडाउन घोषित होने से पहले ही दुकानें बंद कर दी. संक्रमण की वजह से कई सरकारी विभाग बंद पड़ गए. राज्य में चल रही जलापूर्ति योजनाओं का काम प्रभावित पूरी तरह से बंद हो गया. हर घर नल जल योजना के तहत घरों में कनेक्शन देने का काम पूरी तरह से बंद हो गया है.
पेयजल विभाग ने जल जीवन मिशन के तहत वर्ष 2022 तक 7.50 लाख घरों में पाइप लाइन से पानी पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इस वर्ष अब तक मात्र 23 हजार कनेक्शन दिया जा सका है. वाटर कनेक्शन देने का काम अभी पूरी तरह से बंद है. अगस्त, 2019 में जल जीवन मिशन की घोषणा के बाद से लेकर अब तक राज्य में 4 लाख से अधिक नल जल कनेक्शन प्रदान किया गया है. वर्ष 2024 तक ‘हर घर नल जल’ योजना के तहत एक-एक घर को कनेक्शन देने की बात है. राज्य में अब तक केवल 315 गांवों को ही ‘हर घर नल जल’ गांव घोषित किया गया है. इसका मतलब है कि इन गांवों के हर घर में नल जल आपूर्ति की सुविधा उपलब्ध है.
प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा घरों को वाटर कनेक्शन दिया जाए, इसके लिए पेयजल विभाग के इंजीनियर सरफेस वाटर आधारित 172 जलापूर्ति योजनाओं पर काम कर रहे हैं. वहीं प्रदेशभर में 5394 लघु योजनाओं को पूर्ण करना है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में झारखंड को जल जीवन मिशन के अंतर्गत विभिन्न कार्यों की शुरुआत करने के लिए केंद्रीय अनुदान के रूप में लगभग 1400 करोड़ रुपये प्राप्त होने का अनुमान है.
इसे भी पढ़ें – आखिर कांग्रेस में सुखदेव भगत की वापसी क्यों नहीं चाहते रामेश्वर उरांव
हर घर नल जल योजना कोरोना संक्रमण को दूर करने में सहयोगी
कोरोना महामारी के मौजूदा समय में पानी की कमी और जल प्रदूषण के मुद्दे से निबटना बहुत ही महत्वपूर्ण हो गया है. स्वच्छ जल बेहतर स्वच्छता को बढ़ावा देगा. वहीं घर में एक चालू नल कनेक्शन होने से पानी के सार्वजनिक स्रोत पर भीड़ में कमी लाकर सुरक्षित दूरी को भी सुनिश्चित किया जा सकेगा. इस प्रकार, राज्य को हर घर नल जल कनेक्शन के महत्व के बारे में पेयजल अफसर अच्छी तरह से विचार कर रहे हैं. जलापूर्ति योजनाओं को समय पर पूरा कराने के लिए मॉनिटरिंग टीम का गठन पेयजल विभाग में किया जा रहा है.
कनेक्शन नहीं मिलने से 44.45 लाख लोगों को समय पर नहीं मिलेगा पानी
पेयजल विभाग के अफसरों का कहना है कि एक कनेक्शन से एक परिवार के छह लोगों को लाभ होता है. ऐसे में कोरोना की वजह से करीब 44 लाख 45 हजार लोगों को पीने का शुद्ध पानी समय पर नहीं मिल पाएगा. प्रदेशभर में पेयजल विभाग सरफेस वाटर आधारित 172 जलापूर्ति योजना पर काम कर रहा था. इन योजनाओं पर 4 हजार 706 करोड़ रुपये खर्च होने हैं. मगर कोविड की वजह से ज्यादातर योजनाओं का काम पूरी तरह से प्रभावित हो गया है. अफसरों के कोरोना संक्रमित होने की वजह से योजनाओं की मॉनिटरिंग बंद हो गई है.
इसे भी पढ़ें –खान विभाग में लाइसेंस राज से बेहाल हैं उद्यमी, मंजूरी के लिए टन पर बंधा है कमीशन