Lagatar Desk : कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके मरीजों में दिमाग से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं. यहां तक कि आमतौर पर होने वाला सरदर्द एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर हो सकता है. अमेरिका की जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस न सिर्फ लोगों के दिमाग पर हमला कर रहा है, बल्कि वहां घर भी बना रहा है. वैज्ञानिकों ने एक कोरोना संक्रमित चूहे पर परीक्षण के बाद यह दावा किया है. वैज्ञानिकों ने पाया कि कोरोना वायरस चूहे के दिमाग में जाकर छिपा हुआ है. इसकी वजह से चूहे को कई गंभीर मानसिक और शारीरिक बीमारियां हो गयी हैं. उसके दिमाग में मौजूद कोरोना वायरस की तादाद बाकी अंगों में मौजूद वायरस से 1000 गुना ज्यादा थी.
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की खबर के अनुसार जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी की यह स्टडी वायरसेस नामक जर्नल में प्रकाशित हुई है. अब शोधकर्ता यह खोजने में लगे हैं कि कोरोना वायरस के दिमाग में घर बनाने की वजह से किस तरह की दिक्कतें आ सकती हैं. इसका इलाज किस तरह किया जा सकता है या कोरोनावायरस दिमाग में न पहुंचे, इसके लिए क्या उपाय किये जा सकते हैं.
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जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट्स ने क्या पाया
- कोरोनावायरस संक्रमण के पांच से छह दिन बाद ही चूहे के दिमाग में छिप गया.
- मगर तीसरे दिन से ही उसके फेफड़े में कोरोनावायरस की तादाद में कमी आने लगी थी.
- मतलब कोरोनावायरस फेफड़ों के बजाय अब शरीर के सबसे प्रमुख अंगों की तरफ रुख कर रहा है.
- यह अत्यधिक खतरनाक हो सकता है.
इन शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन से यह निष्कर्ष निकाला है कि जिन लोगों में कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद लंबे समय तक कोई न कोई शारीरिक या मानसिक दिक्कतें आ रही हैं, उनके दिमाग में कोरोनावायरस हो सकता है.
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भारत में मरीजों को हो रही याददाश्त, दुविधा जैसी समस्या
देश में कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों में भी बड़ी संख्या में न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर की समस्या सामने आ रही है. कई बार तो इन डिसऑर्डर्स के लक्षण इतने सामान्य होते हैं कि इन्हें पहचानना भी मुश्किल हो जाता है कि यह कोरोना के बाद पैदा हुई समस्या है. डॉक्टरों का कहना है कि आमतौर पर होने वाला सरदर्द एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर हो सकता है. एम्स दिल्ली में न्यूरोलॉजी की प्रोफेसर डॉ मंजरी त्रिपाठी बताती हैं कि उनके पास ब्रेन फॉग या मेमोरी फॉग के काफी ज्यादा मामले आये हैं. इसमें मरीज की याददाश्त कमजोर पड़ जाती है. उसे हिसाब-किताब में भी दिक्कतें आने लगती हैं. मरीज के दिमाग के प्रमुख कार्य जैसे सोचना, समझना और याद रखने में गड़बड़ होने लगती है. कुछ लोगों में हल्के दौरे पड़ने की भी समस्या पैदा हो जाती है. केंद्रीय तंत्रिका ठीक तरह से काम नहीं कर पाती है. मानसिक थकान और दुविधा की स्थिति बनी रहती है. यह मरीज के निर्णय लेने की क्षमता को भी प्रभावित कर देता है.
हल्के में न लें, सिरदर्द हो सकता है डिसऑर्डर का लक्षण
डॉ त्रिपाठी कहती हैं- अगर आप कोरोना से ठीक हो गये हैं और फिर भी आपको तेज सिरदर्द है और यह लगातार बना हुआ है, तो यह न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर हो सकता है. यह कोरोना का मस्तिष्क की नसों पर पड़े प्रभाव का कारण भी हो सकता है. ऐसे में इसकी जांच और इलाज किया जाना बहुत जरूरी है. डॉ मंजरी बताती हैं कि दिल्ली एम्स में कई ऐसे गंभीर मामले भी सामने आये, जिनमें मरीजों को कोविड के दौरान ही लकवा मार गया. कुछ ऐसे भी मरीज थे जो कोविड से उबरने के बाद लकवे की चपेट में आ गये. ऐसे मरीजों की खून की नली या तो ब्लॉक हो गयी, फट गयी अथवा खून जमने की समस्या हुई.