LagatarDesk : अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद गौतम अडानी के बुरे दिन शुरू हो गये हैं. एक तरफ जहां अडानी एंटरप्राइजेज ने अपना एफपीओ वापस ले लिया. वहीं दूसरी तरफ गौतम अडानी को एक और बड़ा झटका लगा है.ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, क्रेडिट सुइस ने अडानी ग्रुप की कंपनियों के बॉन्ड्स के बदले मार्जिन लोन देने पर रोक लगा दी है.हालांकि सभी यूरोपियन बैंकों ने अडानी ग्रुप की कंपनियों के बॉन्ड्स के बदले मार्जिन लोन देने पर रोक नहीं लगायी है. दो यूरोपीय प्राइवेट बैंकों ने अब तक इसमें कोई बदलाव नहीं किया है. एक इन्वेस्टमेंट फर्म ने अडानी पोर्ट्स के डॉलर बॉन्ड के बदले में 75% से 80% के बीच उधार देने की पेशकश की है. (पढ़ें, गिरावट के साथ खुला शेयर बाजार, सेंसेक्स 360 अंक लुढ़का, अडानी ग्रुप के शेयर 10 फीसदी टूटे)
पहले अडानी ग्रुप की कंपनियों के बॉन्ड्स के बदले अपने क्लाइंट्स को लोन देता था क्रेडिट सुइस
बता दें कि क्रेडिट सुइस एक ग्लोबल इन्वेस्टमेंट बैंक और फाइनेंशियल सर्विसेज फर्म है. इसका हेडक्वार्टर स्विट्जरलैंड में है. पहले यह बैंक अडानी ग्रुप की कंपनियों के बॉन्ड्स के बदले अपने क्लाइंट्स को लोन देता था. लेकिन क्रेडिट सुइस ने अब ऐसा करने से मना कर दिया. क्रेडिट सुइस ने अडानी पोर्ट्स, अडानी ग्रीन एनर्जी और अडानी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई लिमिटेड द्वारा बेचे गये बॉन्ड्स के लिए जीरो लेंडिंग (उधार) वैल्यू निर्धारित कर दी है. बता दें कि बजट के दिन यानी 1 फरवरी को गौतम अडानी की नेटवर्थ में बड़ी गिरावट आयी. जिसकी वजह से अडानी फोर्ब्स की अरबपतियों वाली लिस्ट में खिसककर 15वें नंबर पर पहुंच गये.
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क्या होता है मार्जिन लोन
जब कोई प्राइवेट बैंक किसी कंपनी के बॉन्ड्स की लेंडिंग (उधार) वैल्यू जीरो कर देता है, तो संबंधित कंपनी को कर्ज जारी रखने के लिए नकद के साथ टॉपअप करना पड़ता है. कंपनी को विकल्प के तहत दूसरे कोलैटरल मुहैया कराने होते हैं. अगर वो कंपनी ऐसा नहीं कर पाती है, तो कंपनी की सिक्योरिटीज को बेचकर भरपायी की जा सकती है.
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