Ranchi: केंद्रीय विश्वविद्यालय, झारखंड रांची ने सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड के साथ सोमवार को एमओयू किया. एमओयू का उद्देश्य शिक्षा-उद्योग गठजोड़ का निर्माण करना और कंपनी के तेजी से बढ़ते उत्पादन की पृष्ठभूमि को मजबूत करना है. इस गंठबंधन में सीयूजे सीसीएल के नॉलेज पार्टनर के रूप में काम करेगा, वहीं सीसीएल, सीयूजे के उद्योग भागीदार के रूप में काम करेगी. समझौते से प्रौद्योगिकी संबंधी समस्याएं जैसे प्रगति में कोर अनुसंधान और उन्नत खनन प्रौद्योगिकी,कार्बन पृथक्करण, खदान के पानी का घरेलू व औद्योगिक क्षेत्र में उपयोग, क्षमता निर्माण, अपशिष्ट में कमी, पर्यावरण संरक्षण, भूमि सुधार सहित इससे जुड़े अन्य क्षेत्रों की समस्याओं के सफल समाधान के संचालन की संभावनाएं तलाश करना है.
सीयूजे के प्रभारी प्रोफेसर एवं नोडल अधिकारी प्रो. मनोज कुमार ने बताया कि सीयूजे और सीसीएल दोनों संस्थानों के प्रमुख अधिकारियों के बीच गहन चर्चा के बाद एमओयू का निर्णय लिया गया. उन्होंने कहा कि एमओयू दोनों संस्थानों के लिए संयुक्त अनुसंधान गतिविधियों और कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व में मील का पत्थर साबित होने वाला है. सीयूजे के कुलपति प्रो. क्षिति भूषण दास ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में सतत विकास के लक्ष्य को प्रभावी ढंग से प्राप्त करने के लिए एकेडमिक- औद्योगिक गंठजोड़ की आवश्यकता है. उन्होंने आगे कहा कि सीयूजे रांची और सीसीएल के इस तकनीकी-वैज्ञानिक प्रयास और सामूहिक प्रयासों से समझौते के अनुसार कोयला उपभोक्ताओं को एक सस्ती, कुशल और कॉम्पैक्ट विश्वसनीय स्वच्छ कोयले की आपूर्ति और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में मदद मिलेगी.
सीसीएल के सीएमडी पीएम प्रसाद ने कहा कि एकेडमिक- औद्योगिक गठजोड़ पर्यावरण के अनुकूल, गहन सुरक्षा, लागत और टिकाऊ तरीके से कोयला खनन और कंपनी की सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए काफी आवश्यक है. उन्होंने यह भी कहा कि सीयूजे प्रमुख केंद्रीय वित्त पोषित संस्थानों में से एक है और सीसीएल विकासात्मक गतिविधियों में इसकी विशेषज्ञता आसपास के विकास के लिए सीएसआर फंड के बेहतर उपयोग के साथ-साथ खनन गतिविधियों के तकनीकी-वैज्ञानिक समाधान प्राप्त करने के लिए फायदेमंद है.

इस अवसर पर, हस्ताक्षर करने वाले अधिकारियों के साथ, निदेशक प्रो. रतन कुमार डे, विभिन्न स्कूलों के डीन प्रो. रत्नेश विश्वकसेन, प्रो. एसी पांडे, प्रो.जे एन नायक, ओएसडी, सीयूजे, प्रो.अजय सिंह, हेड डीसीई, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. मयंक रंजन, चीफ प्रॉक्टर, सियुजे नरेंद्र कुमार, पीआरो, डॉ. सुशील कुमार शुक्ला, डॉ. भास्कर सिंह, डॉ. कुलदीप बौद्ध और विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारी भी मौजूद थे.
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