Akshay Kumar Jha
Ranchi: शराब का खेल निराला है. जितना नशा पीने वाले को चढ़ता है, उससे ज्यादा सुरूर इससे जुड़े लोगों पर तारी रहता है. चाहे वह सरकारी सिस्टम हो अथवा माफिया और सिंडिकेट. कारण है इससे आनेवाला अथाह-अकूत पैसा. तभी तो हर आनेवाली सरकार बात तो सेहत, शिक्षा और रोजगार की करती है, लेकिन दिमाग दारू में लगाती है. सरकार बदलते ही शराब कारोबार के नियम बदल जाते हैं. समाज एक शराबी को भले हिकारत से देखता हो, सरकार शराब माफिया को सिर-माथे बैठाती है. उसके लिए खेल के नियम बदल दिये जाते हैं, ताकि कोई दूसरा प्लेयर इस मैदान में चुनौती देने उतर ही नहीं सके. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और पंजाब जैसे राज्यों में, जहां शराब की खपत झारखंड से कई गुना ज्यादा है, खेल झारखंड के मुकाबले कहीं ज्यादा फेयर है. वहां भी शराब का थोक कारोबार निजी हाथों में है, जैसा कि झारखंड में तैयारी चल रही है. लेकिन झारखंड ने खेल शुरू होने के पहले ही नियम ऐसे रख दिये हैं जिससे यह पक्का हो गया है कि यह धंधा कुछ चुनिंदा कारोबारियों के हाथों में ही जाये.
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यूपी, हरियाणा और पंजाब को भी पार कर गया झारखंड
थोक शराब कारोबार के लाइसेंस के लिए आवेदन करने के लिए फीस लगती है. जिन राज्यों में यह कारोबार प्राइवेट प्लेयर्स के हाथ है, आवेदन के साथ शुल्क लगता है. कई राज्यों में यह शुल्क गैरवापसी योग्य यानी नॉन रिफंडेबल होता है. यूपी 75 जिलों वाला बड़ा राज्य है. वहां थोक शराब के लिए नॉन रिफंडेबल फीस सिर्फ 50 हजार रुपये है. दिल्ली में भी यह 50 हजार ही है. हरियाणा में नॉन रिफंडेबल फीस पांच लाख और पंजाब में सबसे ज्यादा 10 लाख रुपये है. लेकिन 24 जिलों वाले झारखंड में सरकार ने आवेदन शुल्क 25 लाख रुपए तय किया है. स्पष्ट है कि अपने मनचाहे लोगों को काम देने के लिए यह शर्त रखी गयी है. क्योंकि कोई भी कारोबारी बिना गारंटी 25 लाख रुपये डुबाने की गलती तो करेगा नहीं.
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ओडिशा, बंगाल और छत्तीसगढ़ में थोक कारोबार सरकार के पास
हाल ही में हेमंत सरकार ने उत्पाद विभाग की थोक विक्रेता नियमावली में बदलाव किये हैं. सरकार ने झारखंड राज्य बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (JSBCL) को भंग करते हुए शराब का थोक व्यापार पूरी तरह से प्राइवेट प्लेयर्स के हाथों में सौंप दिया है. अब झारखंड के पड़ोसी राज्यों पर नजर डालते हैं. बंटवारे से पहले तक झारखंड बिहार का अंग था. बिहार अब हमारा पड़ोसी है. वहां पूर्ण शराबबंदी है. यानी शराब बेचना और पीना दोनों कानून जुर्म हैं. दूसरे पड़ोसी राज्य ओडिशा में शराब का थोक कारोबार सरकार के बेवरेड कारपोरेशन के पास है. छत्तीसगढ़ में शराब का थोक और खुदरा दोनों कारोबार सरकार के जिम्मे है. बंगाल में भी सरकारी कारपोरेशन थोक का काम देख रहा है.
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