Dhanbad : हम एनर्जी यूजर हैं. सुबह उठने से लेकर सोने तक जाने-अनजाने में ऊर्जा का उपयोग करते रहते हैं. यह पृथ्वी को खतरे में डाल रहा है. दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली ऊर्जा का 85% कार्बन बेस्ड फ्यूल से आता है. इससे पैदा होने वाली कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण में 200 से 400 साल तक बनी रहती है. इसकी वजह से वर्ष 1850 की अपेक्षा वर्तमान में पृथ्वी का तापमान 1.1 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है. अगले 6 वर्षों में यह 1.5 डिग्री सेल्सियस के पार चला जाएगा. इसकी वजह से होने वाला जलवायु परिवर्तन भविष्य में बड़ी समस्या का कारण बनेगा. यह बातें आईआईटी-आईएसएम में आयोजित एनर्जी लिटरेसी ट्रेनिंग प्रोग्राम के दौरान एनर्जी स्वराज फाउंडेशन के ट्रेनर संजय कुमार ने कहीं. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि “हम बदल जाएं, वर्ना जलवायु हमें बदल देगी. उन्होंने ट्रेनिंग के दौरान छोटे-छोटे अभ्यास के जरिए दैनिक जीवन में ऊर्जा के कम से कम उपयोग का मंत्र दिया.
प्रशिक्षण में मिले ज्ञान को दैनिक व्यवहार में लाएं : निदेशक
आईआईटी-आईएसएम के निदेशक प्रो. राजीव शेखर ने कहा कि जितनी जल्दी लोग जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूक होंगे उतना अच्छा रहेगा. यह विद्यार्थियों के सीखने की उम्र है अभी से ही वे जागरूक हो जाएं. प्रशिक्षण कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने जो सीखा है उसे अपने दैनिक व्यवहार में लाएं. प्रो. देबजानी मित्रा ने कहा कि विद्यार्थी व फैकेल्टी मेंबर्स यहां से एनर्जी लिटरेसी के बारे में जो भी सीखे हैं, उसे और 10 लोगों तक पहुंचाएं. क्योंकि ये किसी एक कि नहीं बल्कि सभी की समस्या है. कार्यशाला को प्रो. इस समादर व प्रो. मृणाल सेन ने भउ संबोधित किया.

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