Ram Murti Pathak Dhanbad : जिस प्रकार शिल्पकार पत्थर को आकार देता है और कच्ची मिट्टी को तपाकर उसके विकारों को दूर करता है, ठीक उसी प्रकार एक शिक्षक भी छात्रों के अवगुणों को दूर कर उन्हें सही राह दिखाता है. शिक्षक ज्ञान का वह अविरल स्रोत है, जो लाखों छात्रों के भाग्य का निर्माण करता है. वह ज्ञान का एक ऐसा भंडार है, जो दूसरों को बनाने में स्वयं मिट जाता है. झारखंड के धनबाद जिले के एक ऐसे ही शिक्षक से रू-ब-रू करा रहें है जो खुद नेत्रहीन होने के बावजूद विद्यार्थियों के बीच ज्ञान की रोशनी बिखेर रहे हैं. बीएसएस बालिका उच्च विद्यालय, कंबाइंड बिल्डिंग धनबाद के शिक्षक रत्नेश अपने ज्ञान के प्रकाश से पूरे स्कूल को आलोकित कर रहे हैं. उनकी पढ़ाने की शैली से छात्राएं काफी प्रभावित हैं और उनके क्लास का इंतजार करती हैं. कतरास निवासी रत्नेश की बीएसएस बालिका उच्च विद्यालय में नई ज्वानिंग हैं. उन्होंने डबल एमए के साथ-साथ बीएड व एमएड की डिग्री ली है. स्कूल में बच्चियों को पढ़ाने के साथ ही फिलहाल पीएचडी की तैयारी भी कर रहे हैं. बचपन से ही नेत्रहीन रत्नेश विद्यालय में 9वीं और 10वीं की छात्राओं को तालीम दे रहे हैं. छात्राएं भी इन्हें अपना आदर्श मानती हैं. रत्नेश बताते हैं कि विषम परिस्थितियों को अपना ढाल बनाया और आज बच्चों को शिक्षा देकर खुद को गौरवान्वित समझते हैं. जीवन में मुस्किलें आती हैं, तो लोग विचलित हो जाते हैं. रत्नेश वैसे लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं.
विद्यालय परिवार को ऐसे शिक्षक पर गर्व- प्राचार्य
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कक्षा में बच्चियों को पढ़ाते रत्नेश[/caption] स्कूल की छात्रा श्रुति बताती है कि सर की जितनी तारीफ की जाए कम है. जब हमलोगों को पढ़ाते हैं तो कभी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि वे नेत्रहीन हैं. उन्हें देख हमें भी सीख मिलती है कि तमाम कमियों के बावजूद जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए. मंजिल पाने के लिए लगातार मेहनत करते रहना चाहिए. स्कूल की प्रभारी प्राचार्य अंजुला गुप्ता ने बताया कि रत्नेश जैसे शिक्षक हमारे स्कूल की शान बढ़ा रहे हैं. विद्यालय परिवार को उन पर फख्र है. यह भी पढ़ें :
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