Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) पूर्व मंत्री समरेश सिंह का 81 वर्ष की आयु में एक दिसंबर गुरुवार को निधन हो गया. वह लंबे समय से बीमार थे. उनके निधन की खबर से धनबाद कोयलांचल में शोक की लहर दौड़ गई. लोग रेल दो या जेल दो आंदोलन व सभाओं में उनकी दहाड़नेवाली आवाज को याद कर भावुक हो उठे . कोई उनके राजनीतिक सफर को याद कर रोमांचित हो उठा तो किसी ने उनकी लोकप्रियता का हवाला देते हुए युग पुरुष कह कर याद किया. निधन की खबर फैलते ही पूरा कोयलांचल शोकमग्न हो गया. राजनेताओं, बुद्धिजीवियो, कार्यकर्ताओं व आम लोगों ने भी शोक जताया.
रेल परिचालन बंद होने पर 20 माह तक किया आंदोलन
शोक व्यक्त करते हुए करते हुए समाजसेवी विजय झा ने कहा कि रेलवे बोर्ड ने भूमिगत आग का हवाला देकर 15 जून 2017 में जब ट्रेनों का परिचालन बंद दिया था कतरास के लोगों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. जुलाई, 2017 से `रेल दो या जेल दो’ के बैनर तले कतरासगढ़ स्टेशन रोड पर अनिश्चितकालीन महाधरना की अगुवाई समरेश सिंह ने की थी. उनका आंदोलन रंग लाया और डीसी लाइन पर ट्रेन सेवा बहाल हुई.
समरेश सिंह के प्रयास से भाजपा ने कमल चिह्न अपनाया : रणविजय सिंह
वरिष्ठ भाजपा नेता रणविजय सिंह ने कहा कि उनके कार्यकाल में ही राजनीति सीखने को मिली. पहली बार 1977 में उन्होंने बाघमारा विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. इसके बाद मुंबई में 1980 में आयोजित भाजपा के प्रथम अधिवेशन में पार्टी कमल निशान का चिह्न रखने का सुझाव उन्होंने ही दिया था. केंद्रीय नेताओं ने उस मंजूरी दी और भाजपा से कमल का रिश्ता जुड़ गया. दरअसल समरेश सिंह ने 1977 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कमल चुनाव चिन्ह पर ही जीत हासिल की थी. बाद में वह भाजपा से 1985 व 1990 में बोकारो से विधायक निर्वाचित हुए. इससे पहले 1985 में उन्होंने इंदर सिंह नामधारी के साथ मिलकर भाजपा से बगावत कर 13 विधायकों के साथ संपूर्ण क्रांति दल का गठन किया. हालांकि कुछ ही दिन बाद संपूर्ण क्रांति दल का विलय भाजपा में हो गया.
राजनीति के एक युग का अंत : राज सिन्हा
धनबाद विधायक राज सिन्हा ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि समरेश सिंह के निधन के साथ राजनीति के एक युग का अंत हो गया. जननायक, महान क्रांतिकारी नेता, समाज सेवी, एक समय में जनसंघ और भाजपा को गति देने वाले कार्यकर्ताओं में वह दादा के नाम से लोकप्रिय हुए. शोषित, कमजोर व गरीबों के अभिभावक बन कर उभरे. भगवान उनके लाखों चाहने वालों और परिवार वालों को इस दुख की घड़ी में सहनशक्ति प्रदान करे. उन्होंने दिवंगत की आत्मा के शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की.
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