Mithilesh Kumar
Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) धनबाद जिला में झारखंड मुक्ति मोर्चा की जिला कमेटी भंग होने के बाद पार्टी के अंदर का अंतर्कलह अब सतह पर आ गया है. पार्टी को करीब से समझने वाले जानकार बताते है कि अंतर्कलह की जड़ में टुंडी विधायक मथुरा प्रसाद महतो हैं. हालांकि इस लड़ाई में दिग्गजों को न माया मिली न राम. सभी अचानक पार्टी का पद गंवा कर केंद्रीय नेतृत्व को कोपभाजन बने बैठे हैं.
विधायक पर लगा डिक्टेटरशिप का आरोप
विधायक मथुरा महतो पर आरोप है कि वह पार्टी के लोकतंत्र की हवा निकालकर डिक्टेटर शिप की चाशनी भरना चाहते हैं. पिछले चार टर्म से धनबाद के जिला अध्यक्ष रमेश टुडू तब तक उन्हें अच्छे लगे, जब तक उनकी हर बात में हामी भरने का काम किया. परंतु हां में हां मिलानेवाले रमेश टुडू ने 2019 के चुनाव में जब अचानक डुंडी विधानसभा सीट पर उम्मीदवारी पेश की तो वह उनकी नजर में खटकने लगे.
बहनोई के जिला सचिव बनते ही बढ़ी गुटबाजी
विधायक जी ने अपने बहनोई और पार्टी जिला सचिव पवन महतो को प्रमोट करना शुरू कर दिया. मथुरा की गाइड लाइन से निकलकर रमेश खुद को आदिवासी चेहरे के रूप में प्रस्तुत करने लगे. अब वह भी मथुरा की तरह पार्टी में बड़ा ओहदा पाना चाहते थे. धीरे धीरे इसी ने सोच पार्टी को दो गुटों में बांट दिया. दोनों गुट अपना कद बड़ा करने के लिए एक दूसरे के काम में टांग अड़ाने लगा. हाल ही में जिला अध्यक्ष और सचिव के मनोनयन के बाद प्रखंड कमेटी बनाने का आदेश मिला था. इस आदेश पर दोनों ने अलग अलग प्रखंड कमेटी का गठन किया.
सुलझने की बजाय उलझता गया मामला
तभी पार्टी का कलह खुल कर सबके सामने आ गया. मामला सुलझाने की जगह रमेश टुडू गुट की प्रखंड कमेटी ने पवन महतो को हटाकर अरनव सरकार को सचिव बनाने की मांग की. इस विवाद के बाद दोनों को पार्टी ने रांची कार्यालय बुलाया, लेकिन मामला सुलझा नहीं और केंद्रीय कमेटी के महासचिव विनोद कुमार पांडे ने जिला कमेटी को ही भंग कर दिया. अब पार्टी में किसी के पास कोई पद नहीं है. सभी अचानक केंद्रीय कमेटी के मोहताज बन गए हैं.
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